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Friday, March 14, 2025

स्वर्ण मंदिर के बाहर सुखबीर सिंहबादल पर हमले की घटना, हमलावर पूर्व आतंकवादी निकला

स्वर्ण मंदिर के बाहर सुखबीर सिंहबादल पर हमले की घटना, हमलावर पूर्व आतंकवादी निकला. पंजाब के अमृतसर स्थित स्वर्ण मंदिर के बाहर बुधवार, 4 दिसंबर 2024 को, पंजाब के पूर्व उपमुख्यमंत्री और शिरोमणि अकाली दल (SAD) के नेता सुखबीर सिंह बादल पर जानलेवा हमला हुआ। घटना के समय श्री बादल धार्मिक सेवा कर रहे थे।

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Punjab: पंजाब के अमृतसर स्थित स्वर्ण मंदिर के बाहर बुधवार, 4 दिसंबर 2024 को, पंजाब के पूर्व उपमुख्यमंत्री और शिरोमणि अकाली दल (SAD) के नेता सुखबीर सिंह बादल पर जानलेवा हमला हुआ। घटना के समय श्री बादल धार्मिक सेवा कर रहे थे।

हमलावर की पहचान और पुलिस का बयान
पुलिस ने बताया कि हमलावर की पहचान नरायण सिंह चौरा के रूप में हुई है, जो पूर्व में आतंकवाद से जुड़े मामलों में शामिल रहा है। हालांकि, श्री बादल को इस हमले में कोई चोट नहीं आई, क्योंकि सुरक्षा बलों और वहां मौजूद लोगों ने तुरंत हमलावर को काबू कर लिया। पुलिस ने मौके से हथियार बरामद कर लिया और आरोपी को हिरासत में ले लिया है।

पुलिस आयुक्त गुरप्रीत सिंह भुल्लर ने कहा, “हमने आरोपी के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर ली है। घटना की गहन जांच की जाएगी ताकि इसके पीछे की मंशा को समझा जा सके।”

घटना के दौरान की परिस्थितियां
सूत्रों के अनुसार, श्री बादल, जो पैर की चोट के कारण व्हीलचेयर पर थे, स्वर्ण मंदिर के प्रवेश द्वार पर धार्मिक सेवा कर रहे थे। इसी दौरान, हमलावर ने उन पर हमला करने की कोशिश की।

शिरोमणि अकाली दल का कड़ा रुख
शिरोमणि अकाली दल के वरिष्ठ नेता दलजीत सिंह चीमा ने इस घटना को लेकर सरकार पर गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने इसे पंजाब में बिगड़ती कानून व्यवस्था का प्रतीक बताते हुए कहा, “यह घटना साबित करती है कि राज्य में कानून व्यवस्था पूरी तरह से चरमरा गई है। मुख्यमंत्री को तुरंत इस्तीफा देना चाहिए।”

उन्होंने इस मामले की निष्पक्ष और उच्च स्तरीय न्यायिक जांच की मांग की और कहा कि इसके पीछे की पूरी साजिश को उजागर करना होगा।

अकाल तख्त का बयान
अकाल तख्त के जत्थेदार ज्ञानी रघबीर सिंह ने इस घटना की कड़ी आलोचना की। उन्होंने कहा, “यह सिर्फ श्री बादल पर नहीं, बल्कि एक धार्मिक सेवक पर हमला है। सरकार को इस मामले में पूरी पारदर्शिता के साथ कार्रवाई करनी चाहिए।”

धार्मिक सेवा का संदर्भ
गौरतलब है कि 2 दिसंबर को अकाल तख्त ने सुखबीर सिंह बादल और SAD के अन्य नेताओं को धार्मिक मामलों में कथित उल्लंघन के लिए दंडित किया था। श्री बादल ने अपनी गलतियों को स्वीकारते हुए स्वर्ण मंदिर में बर्तन धोने और सेवा कार्य करने का निर्णय लिया था।

कानून व्यवस्था पर बहस
इस घटना ने पंजाब में कानून व्यवस्था की स्थिति पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। विपक्षी दलों और धार्मिक संगठनों ने इस मामले पर राज्य सरकार को घेरा है और निष्पक्ष जांच की मांग की है।

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