भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (BCCI) ने खिलाड़ियों की पत्नियों और परिवारों को दौरों पर साथ जाने से रोकने का फैसला किया है। यह कदम भारतीय टीम के हालिया खराब टेस्ट प्रदर्शन को सुधारने के उद्देश्य से उठाया गया है। घरेलू मैदान पर न्यूजीलैंड के खिलाफ 0-3 की ऐतिहासिक हार और ऑस्ट्रेलिया में बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी में 1-3 की शिकस्त के बाद यह फैसला लिया गया।
मुंबई में समीक्षा बैठक में लिया गया निर्णय
शनिवार को मुंबई में आयोजित समीक्षा बैठक में यह निर्णय लिया गया। बैठक में मुख्य कोच गौतम गंभीर, कप्तान रोहित शर्मा और मुख्य चयनकर्ता अजीत अगरकर ने भाग लिया। BCCI अधिकारियों ने टीम की निराशाजनक प्रदर्शन पर चर्चा की और खिलाड़ियों का ध्यान बेहतर तरीके से खेल पर केंद्रित करने के लिए यह कदम उठाया।
कोविड-19 से पहले की नीति की वापसी
यह निर्णय पूर्व-कोविड नियमों की वापसी को दर्शाता है। महामारी के दौरान खिलाड़ियों की मानसिक स्थिति का ध्यान रखते हुए उनके परिवारों को साथ रहने की अनुमति दी गई थी। लेकिन अब, BCCI ने महसूस किया कि विदेशी दौरों पर परिवारों की उपस्थिति खिलाड़ियों के प्रदर्शन पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकती है।

विदेशी दौरों पर विशेष ध्यान
यह नई नीति विशेष रूप से विदेशी दौरों के लिए लागू होगी। अधिकारियों का मानना है कि खिलाड़ियों को परिवारों से दूर रखने से उन्हें खेल पर अधिक ध्यान केंद्रित करने में मदद मिलेगी। हाल ही में ऑस्ट्रेलिया में बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी के दौरान कई खिलाड़ियों के परिवार उनके साथ थे, जो बोर्ड के अनुसार, प्रदर्शन को प्रभावित करने वाले कारकों में से एक हो सकता है।
मानसिक स्वास्थ्य बनाम अनुशासन
हालांकि, इस कदम पर मिली-जुली प्रतिक्रियाएँ मिल रही हैं। कुछ इसे पेशेवर अनुशासन के लिए आवश्यक मानते हैं, तो कुछ इसे खिलाड़ियों के मानसिक स्वास्थ्य के लिए सहायक परिवार समर्थन को नजरअंदाज करने वाला मानते हैं। BCCI ने कहा कि मानसिक स्वास्थ्य महत्वपूर्ण है, लेकिन विदेशी दौरों के दौरान व्यक्तिगत और पेशेवर जीवन को अलग करना भी उतना ही जरूरी है।
प्रशंसकों और विशेषज्ञों की मिली-जुली प्रतिक्रिया
इस नीति का उद्देश्य खिलाड़ियों के प्रदर्शन को बेहतर करना और ध्यान भटकाने वाले कारकों को कम करना है। आगामी श्रृंखलाओं के साथ, BCCI को उम्मीद है कि यह सख्त निर्णय टीम के लिए सकारात्मक बदलाव लेकर आएगा।