अमेरिकी शेयर बाजार में इतना तूफान आया कि पूरी दुनिया भयभीत हो गई। एक दिन में चार ट्रिलियन रुपये, या 340 लाख करोड़ रुपये धूल में मिल गए, और वॉल स्ट्रीट कोहराम मच गया। S&P 500 में 8.6 प्रतिशत की भारी गिरावट और Nasdaq में 4 प्रतिशत की गिरावट ने निवेशकों को चौंका दिया। यह इतना बड़ा नुकसान हुआ कि ऑस्ट्रेलिया, दक्षिण कोरिया और मैक्सिको की पूरी अर्थव्यवस्थाएं बेहोश हो गईं। क्या यह सिर्फ एक दिन का झटका था, या दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था गिरावट के काले भंवर में फंस जाएगी?
जानकारों का मानना है कि राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के रहस्यमय बयान और टैरिफ बम ने राजनीतिक बहिष्कार पैदा कर दिया है। टेस्ला से लेकर ऐपल तक, बड़ी कंपनियां घुटनों पर आ गईं, जिससे निवेशकों को धक्का लगा। आइए जानते हैं कितना बड़ा नुकसान अमेरिकी अर्थव्यवस्था को हुआ है और इसके क्या प्रभाव होंगे, क्या अमेरिका में आर्थिक मंदी शुरू हो गई है?
समाचार एजेंसी रॉयटर्स ने बताया कि S&P 500 में इस वर्ष की सबसे बड़ी गिरावट हुई है। राष्ट्रपति ट्रंप की व्यापार नीतियां इस गिरावट का मुख्य कारण हैं। हाल ही में ट्रंप ने कनाडा, मैक्सिको और चीन से आयात पर भारी शुल्क (टैरिफ) लगाने की घोषणा की, जिसके बाद उन्होंने यूरोपीय संघ पर भी 25 प्रतिशत टैरिफ लगाने की धमकी दी। इन नीतियों ने निवेशकों को अनिश्चित कर दिया, जिससे बिकवाली शुरू हो गई। टेस्ला और एनवीडिया जैसे बड़े टेक कंपनियों ने एक दिन में $125 बिलियन का नुकसान झेला, जबकि ऐपल और एनवीडिया के शेयरों में भी 5% का नुकसान हुआ। डेल्टा एयरलाइंस जैसी क्षेत्रीय कंपनियों ने भी भारी नुकसान उठाया।
पिछले कुछ महीनों में अमेरिकी अर्थव्यवस्था में कई संकेत दिखाई दिए हैं कि कुछ गलत हो सकता है। Consumer Confidence Index, जो उपभोक्ताओं के आर्थिक दृष्टिकोण को मापता है, फरवरी 2025 में सात अंकों की गिरावट के साथ 98.3 पर आ गया। 80 से नीचे आने पर मंदी का संकेत होता है। न्यूजवीक की एक रिपोर्ट के अनुसार, अटलांटा फेडरल रिजर्व का GDPNow मॉडल, जो वास्तविक समय में आर्थिक वृद्धि का अनुमान लगाता है, मार्च की शुरुआत में 2025 की पहली तिमाही में -2.8% की कमी का संकेत दे रहा था। यह पिछले महीने 2.5% की वृद्धि के अनुमान से बहुत अलग था।
फॉक्स बिजनेस की एक रिपोर्ट के अनुसार, ट्रंप प्रशासन ने जनवरी 2025 में 38,000 अवैध प्रवासियों को निकाला, जो अर्थव्यवस्था को प्रभावित कर सकता है। यह कदम मंदी को और करीब ला सकता है, अर्थशास्त्री हैरी डेंट ने चेतावनी दी थी कि यह 1-1.5% की कमी ला सकता है सकल घरेलू उत्पाद (GDP)। साथ ही, पिछले कुछ हफ्तों में ट्रंप की टैरिफ नीतियों ने बाजार में अस्थिरता बढ़ा दी है।
अर्थशास्त्रियों में मतभेद हैं कि क्या अमेरिकी अर्थव्यवस्था गिर जाएगी। सीएनबीसी की एक रिपोर्ट के अनुसार बेरेनबर्ग बैंक के मुख्य अर्थशास्त्री होल्गर श्मीडिंग ने कहा कि अमेरिकी अर्थव्यवस्था अभी भी लचीली है और तत्काल मंदी का कोई खतरा नहीं है।
न्यूजवीक में मूडीज एनालिटिक्स के प्रमुख अर्थशास्त्री मार्क जांडी ने चेतावनी दी कि निर्वासन, सरकारी नौकरियों में कटौती और टैरिफ युद्ध अर्थव्यवस्था को भारी नुकसान पहुँचा सकते हैं। हालांकि, परिस्थितियों को लेकर कैपिटल इकोनॉमिक्स के प्रमुख उत्तरी अमेरिकी अर्थशास्त्री पॉल ऐशवर्थ बहुत खुश हैं। उन्हें लगता है कि पहली तिमाही में GDP में कमी के बाद दूसरी तिमाही में 4.5 प्रतिशत की वृद्धि हो सकती है। लेकिन KPMG की मुख्य अर्थशास्त्री डायने स्वॉन्क ने रॉयटर्स को बताया कि निवेश की अनिश्चितता और मांग में कमी अगले साल की शुरुआत तक मंदी ला सकती हैं।
भारत, यूएस अर्थव्यवस्था में गिरावट से अप्रत्यक्ष या सीधा प्रभावित हो सकता है। India Today ने कहा कि ट्रंप की टैरिफ नीतियों से विश्व व्यापार में अस्थिरता बढ़ी है, जो भारत जैसे निर्यात-निर्भर देशों पर असर डाल सकती है। भारत और अमेरिका का द्विपक्षीय व्यापार सूचना प्रौद्योगिकी, फार्मास्यूटिकल्स और वस्त्रों में शामिल है। अमेरिकी मांग में गिरावट भारतीय निर्यात पर असर डाल सकती है।