दिल्ली की राज्यसभा चुनाव के दिन दूर नहीं हैं। 5 फ़रवरी को मतदान और 8 फ़रवरी को रिजल्ट आयेगें। सारी पार्टीयाँ अपने – अपने दावपेच लगा रही हैं।
कभी आतिशी के बयान तो कभी संदीप चौधरी के। यह देखना काफी रोमांचक होगा की इस बार दिल्ली की कुर्सी किसको मिले गी। लेकिन इसी बिच भारत की स्वतंत्रा पर सवाल उठ गया हैं…… आइये जानते हैं सम्पूर्ण विवाद।
संविधान हमारी आजादी का प्रतीक नहीं है
मोहन भागवत जो की (RSS राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ) के प्रमुख है। 13 JANUARY को उन्होंने एक इंटरव्यू में कहा की प्राण प्रतिष्ठा की पहली वर्षगांठ को ‘प्रतिष्ठा द्वादशी’ के रूप में मनाया जाना चाहिए. जो कि भारत की सच्ची स्वतंत्रता का प्रतीक है. उन्होंने जोर देकर कहा कि यह आंदोलन भारत को खुद को जगाने के लिए शुरू किया गया था, ताकि देश अपने पैरों पर खड़ा हो सके और दुनिया को रास्ता दिखा सके.
इसी बात पर विपक्षी नेता राहुल गाँधी ने बात को घूमते हुए यह कह दिया की मोहन भागवत ने संविधान पर हमला किया हैं। …… उनका यह कहना हैं की संविधान हमारी आजादी का प्रतीक नहीं है.
राहुलगांधी ने मोहन भागवत को देशद्रोही कहा
राहुल गांधी ने आगे कहा कि मोहन भागवत में हर 2-3 दिन में देश को यह बताने की हिम्मत है कि वे स्वतंत्र आंदोलन, संविधान के बारे में क्या सोचते हैं। उन्होंने कल जो कहा वह देशद्रोह है क्योंकि यह कह रहें है कि संविधान को कोई मान्य नहीं है, अंग्रेजों के खिलाफ लड़ाई अमान्य थी।
उन्हें सार्वजनिक रूप से यह कहने की हिम्मत है, किसी अन्य देश में, उन्हें गिरफ्तार कर लिया जाएगा और उन पर मुकदमा चलाया जाएगा। यह कहना कि भारत को 1947 में स्वतंत्रता नहीं मिली, हर एक भारतीय व्यक्ति का अपमान है और अब समय आ गया है कि हम इस बकवास को सुनना बंद करें जो इन लोगों को लगता है कि वे बस रटते रह सकते हैं और चिल्लाते रह सकते हैं।”