छत्तीसगढ़ और उड़ीसा की सीमा पर स्थित गरियाबंद जिले में सुरक्षा बलों और नक्सलियों के बीच हुई मुठभेड़ में 14 नक्सली मारे गए। यह घटना कुल्हाड़ी घाट रिजर्व फॉरेस्ट के घने जंगलों में हुई, जहां पुलिस और सुरक्षा बलों ने खुफिया जानकारी के आधार पर ऑपरेशन चलाया। यह मुठभेड़ छत्तीसगढ़ पुलिस, ओडिशा पुलिस और केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (CRPF) की संयुक्त कार्रवाई का परिणाम है।
मुठभेड़ का आधार
19 जनवरी की रात को खुफिया एजेंसियों से सूचना मिली थी कि नक्सली इस इलाके में सक्रिय हैं। इस आधार पर छत्तीसगढ़ और ओडिशा पुलिस ने संयुक्त रूप से एक बड़े ऑपरेशन की योजना बनाई। ऑपरेशन में कोई 10 टीमें शामिल थीं, जिसमें CRPF की 5, ओडिशा पुलिस की 3 और छत्तीसगढ़ पुलिस की दो टीमें थीं। उन टीमों ने घेराबंदी कर कुल्हाड़ी घाट के घने जंगलों में तलाशी अभियान शुरू किया।
कैसे हुआ ऑपरेशन
सुरक्षा बलों ने जंगलों में घुसकर नक्सलियों को चारों ओर से घेर लिया। जैसे ही सुरक्षा बल नक्सलियों के ठिकाने के करीब पहुंचे, नक्सलियों ने फायरिंग शुरू कर दी। जवाबी कार्रवाई में सुरक्षा बलों ने 14 नक्सलियों को मार गिराया। मारे गए नक्सलियों में कुछ बड़े इनामी नक्सली शामिल हैं। इनमें से जयराम उर्फ चलपती का नाम सबसे बड़ा है, जिस पर एक करोड़ रुपए का इनाम था।
इलाके में सुरक्षा बढ़ाई गई
मुठभेड़ के बाद सुरक्षा बलों ने आसपास के गांवों और जंगलों में तलाशी अभियान तेज कर दिया है। भाटीगढ़ स्टेडियम को अस्थायी में छानवी के बदल दिया गया है, ताकि मुठभेड़ के बाद किसी भी नक्सली गतिविधि पर नजर रखी जा सके।
नक्सलियों पर सरकार की सख्ती
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने पहले ही नक्सलवाद को खत्म करने के लिए मार्च 2026 तक का लक्ष्य तय किया है। राज्य सरकार घर वापसी और पुनर्वास योजना के माध्यम से नक्सलियों को मुख्य धारा में लाने का प्रयास कर रही है। लेकिन मुठभेड़ जैसे ऑपरेशन यह दिखाते हैं की सुरक्षा बल नक्सलवाद के हाथ में के लिए कितने प्रतिबद्ध हैं।
निष्कर्ष
छत्तीसगढ़ और ओडिशा पुलिस की इस संयुक्त कार्रवाई ने नक्सलियों को बड़ा नुकसान पहुंचाया है। यह ऑपरेशन सुरक्षा बलों की बड़ी सफलता के रूप में देखा जा रहा है, जो नक्सलवाद के खिलाफ चल रही लड़ाई को मजबूत करेगा। इस मुठभेड़ के बाद यह स्पष्ट हो गया है कि सरकार और सुरक्षा बल नक्सलवाद को पूरी तरह से खत्म करने के लिए पूरी तरह से संकल्पित हैं।