संसद के बजट सत्र के दौरान कांग्रेस के नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने कई महत्वपूर्ण और विवादास्पद मुद्दों को उठाया, जिनसे न केवल सत्ता पक्ष बल्कि विपक्षी सांसदों के बीच भी हंगामा मच गया। राहुल गांधी ने अपने भाषण में कई बिंदुओं पर सरकार को घेरते हुए गंभीर सवाल उठाए, जिनमें मोहन भागवत का बयान, चीन के मुद्दे पर सरकार का रुख और भारत के मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर की स्थिति शामिल थे।
मोहन भागवत के बयान पर राहुल गांधी का निशाना
राहुल गांधी ने सबसे पहले आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत के एक हालिया बयान का मुद्दा उठाया, जिसमें उन्होंने कहा था कि भारत को 1947 में आजादी नहीं मिली, बल्कि असल आज़ादी तब मिली जब अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण हुआ। इस बयान पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए राहुल गांधी ने कहा कि इस देश में केवल संविधान ही सर्वोच्च है और सरकार को संविधान के अनुरूप काम करना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पद की शपथ ली थी, तब उन्होंने भी संविधान को सिर से लगाया था, लेकिन अब ऐसा लगता है कि वह संविधान को नजरअंदाज कर रहे हैं।
स्पीकर ओम बिरला ने राहुल गांधी को टोका और कहा कि वह सदन में सिर्फ तथ्यों के आधार पर चर्चा करें और गैर-सांसदों के बयानों पर टिप्पणी न करें। इसके बावजूद राहुल गांधी ने यह साफ किया कि मोहन भागवत का बयान सार्वजनिक था, इसीलिए उन्होंने इस पर प्रतिक्रिया दी।
चीन और भारतीय भूमि के विवाद पर बयान
राहुल गांधी ने संसद में चीन के साथ सीमा विवाद का भी मुद्दा उठाया। उन्होंने आरोप लगाया कि चीनी सेना भारतीय भूमि पर कब्जा कर रही है, और इस संबंध में सरकार के अलग-अलग बयानों पर सवाल उठाए। राहुल ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने इस आरोप को खारिज किया था, लेकिन भारतीय सेना ने स्पष्ट रूप से कहा था कि 4000 स्क्वायर किलोमीटर जमीन पर चीन का कब्जा है। इस पर सत्ता पक्ष के सांसदों ने आपत्ति जताई, और कहा कि यह गंभीर मामला है और इसके लिए सही तथ्यों के आधार पर चर्चा होनी चाहिए।
स्पीकर ने राहुल गांधी से आग्रह किया कि वे इस मामले में तथ्य प्रस्तुत करें और अपनी बात सदन में रखें। राहुल गांधी ने चीफ आर्मी स्टाफ के बयान का हवाला देते हुए कहा कि चीन की सेना भारतीय जमीन पर कब्जा कर चुकी है, और यह मुद्दा अत्यंत गंभीर है।
विदेश नीति पर हंगामा
राहुल गांधी ने विदेश नीति पर भी निशाना साधा। उन्होंने कहा कि जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अमेरिका बुलाने के लिए हमारे विदेश मंत्री को तीन बार भेजा गया, तो हमें यह समझने की जरूरत है कि भारतीय विदेश नीति क्या है। इस बयान पर संसद में हंगामा मच गया। बीजेपी सांसद किरन रिजिजू ने कहा कि राहुल गांधी को एक नेता प्रतिपक्ष के रूप में ठोस और सही जानकारी देनी चाहिए। हालांकि, बाद में राहुल गांधी ने कहा कि अगर उनके बयान से किसी को ठेस पहुंची हो, तो वह माफी मांगते हैं।
भारतीय मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर पर भी उठाए सवाल
राहुल गांधी ने भारतीय मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर के गिरते स्तर पर भी चिंता जताई। उन्होंने कहा कि भारत में मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर को प्रोत्साहित करने की जरूरत है, क्योंकि आजकल अधिकांश वस्तुएं केवल असेंबल की जा रही हैं। उन्होंने उदाहरण के तौर पर मोबाइल फोन का जिक्र किया और कहा कि भारत में मोबाइल फोन सिर्फ असेंबल हो रहे हैं, जबकि इसके घटक चीन से आ रहे हैं। इस वजह से भारत को टैक्स चुकाना पड़ रहा है, जो कि भारत की आर्थिक स्वावलंबन की दिशा में रुकावट डालता है।
मेक इन इंडिया पर आलोचना
राहुल गांधी ने मेक इन इंडिया योजना पर भी सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि यह एक अच्छा विचार था, लेकिन यह योजना सफल नहीं हो पाई। उन्होंने कहा कि सरकार बेरोजगारी को लेकर कोई ठोस कदम नहीं उठा रही है, और यही वजह है कि देश में बेरोजगारी की स्थिति जस की तस बनी हुई है। राहुल ने यह भी कहा कि सरकार ने पिछले कुछ सालों में बेरोजगारों की बातों को नजरअंदाज किया है, और यह स्थिति जल्द ही बदलने वाली नहीं है।
राष्ट्रपति के अभिभाषण में कुछ नया नहीं
संसद में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर चर्चा करते हुए राहुल गांधी ने कहा कि इस बार के राष्ट्रपति के अभिभाषण में कुछ भी नया नहीं था। उन्होंने कहा कि यह भाषण सिर्फ पुराने मुद्दों को दोहराने वाला था, और इसमें कोई नई दिशा या बदलाव की बात नहीं थी।