केंद्रीय गृह मंत्री Amit Shah ने मंगलवार को जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री Omar Abdullah और उपराज्यपाल Manoj Sinha की मौजूदगी में राज्य में नए आपराधिक कानूनों के क्रियान्वयन की स्थिति की समीक्षा की. दरअसल, अब जम्मू-कश्मीर में कानून-व्यवस्था सीधे तौर पर केंद्र सरकार की ओर से नियंत्रित की जाती है क्योंकि पूर्ववर्ती राज्य को 2019 में जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के केंद्र शासित प्रदेशों में बांट दिया गया था.
गृहमंत्री Amit Shah बैठक की अध्यक्षता में हुई बैठक में जम्मू कश्मीर के उपराज्यपाल Manoj Sinha, मुख्यमंत्री Omar Abdullah के अलावा डीजीपी नलिन प्रभात, चीफ सेक्रेटरी अटल डुल्लू भी मौजूद रहे. बैठक के बाद CM Abdullah ने कहा, ‘जम्मू-कश्मीर का नए आपराधिक कानूनों को लागू करने में काफी हद तक रोल ठीक रहा है. जहां कमी रही है, उस पर बात हुई, उसे भी दुरुस्त किया जाएगा. लोगों को नए कानूनों की पूरी जानकारी हो, इसके लिए भी पहल की जाएगी.’
उन्होंने कहा, ‘इससे पहले जो दो बैठक हुई थी वो सुरक्षा से संबंधित थी, अगर सुरक्षा से संबंधित बैठकों में जनता द्वारा चुनी हुई सरकार को शामिल न करने का फैसला लिया जाता है, तो ठीक है.’ देश के चुनाव आयुक्त की नियुक्ति पर पर सीएम ने कहा, ‘नेता प्रतिपक्ष (राहुल गांधी) के तौर पर उन्हें असहमति जताने का हक है, ये कहां कहा गया है कि जो सरकार करती है विपक्ष उससे सहमत हो… जहां तक सुनवाई की बात है, तो सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई चल रही है और फैसला आ जाएगा. इसमें मैं क्या कह सकता हूं. मैं तो एक राज्य का मुख्यमंत्री हूं, ये मरकज का मामला है.’
पिछले साल लागू हुए थे नए कानून
अधिकारियों ने बताया कि नॉर्थ ब्लॉक में हुई बैठक में Abdullah और Sinha के अलावा केंद्र सरकार और जम्मू-कश्मीर सरकार के शीर्ष अधिकारी भी शामिल हुए. भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम को क्रमशः औपनिवेशिक काल की भारतीय दंड संहिता, दंड प्रक्रिया संहिता और 1872 के भारतीय साक्ष्य अधिनियम की जगह बदला गया है. नए कानून पिछले साल 1 जुलाई से लागू हुए थे. गृह मंत्री पहले ही उत्तर प्रदेश, हरियाणा, उत्तराखंड, मध्य प्रदेश और गुजरात समेत कई राज्यों में नए आपराधिक कानूनों के क्रियान्वयन की स्थिति की समीक्षा कर चुके हैं.