28.1 C
Delhi
Thursday, March 13, 2025

Delhi की शराब नीति पर CAG रिपोर्ट में बड़े खुलासे, 2,000 करोड़ से ज्यादा का नुकसान

Delhi की शराब नीति पर CAG रिपोर्ट में बड़े खुलासे, 2,000 करोड़ से ज्यादा का नुकसान

- Advertisement -spot_img
- Advertisement -

Delhi की शराब नीति को लेकर मंगलवार को कैग (CAG) की रिपोर्ट विधानसभा में पेश की गई, जिसमें कई चौंकाने वाले खुलासे हुए। रिपोर्ट में कहा गया है कि 2021-22 की आबकारी नीति की वजह से दिल्ली सरकार को 2,000 करोड़ रुपये से ज्यादा का नुकसान हुआ। कैग ने अपनी जांच में पाया कि शराब की सप्लाई और लाइसेंसिंग में बड़े स्तर पर गड़बड़ियां की गईं, जिससे सरकार को राजस्व हानि हुई।

रिपोर्ट के मुताबिक, दिल्ली सरकार की आबकारी विभाग ने शराब लाइसेंस जारी करने में नियमों का पालन नहीं किया। बिना जरूरी दस्तावेजों की जांच किए ही लाइसेंस बांट दिए गए। यहां तक कि जिन कंपनियों को शराब बेचने की अनुमति दी गई, उनके वित्तीय रिकॉर्ड, आपराधिक पृष्ठभूमि और अन्य जरूरी दस्तावेजों की भी ठीक से जांच नहीं की गई।

CAG ने यह भी पाया कि शराब कंपनियों को अपने दाम खुद तय करने की छूट दी गई, जिससे उन्होंने मनमाने ढंग से कीमतें बढ़ाईं। इससे न केवल शराब की बिक्री प्रभावित हुई, बल्कि सरकार को मिलने वाला टैक्स भी कम हो गया। शराब की गुणवत्ता को लेकर भी गंभीर अनियमितताएं सामने आईं। कई कंपनियों ने गुणवत्ता जांच रिपोर्ट जमा ही नहीं की, और कुछ ने एक साल से भी पुरानी रिपोर्ट सौंपी, जिससे खराब और मिलावटी शराब बिकने की आशंका बढ़ गई।

रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि आबकारी विभाग का नियामक तंत्र कमजोर था। अवैध शराब पर लगाम लगाने की कोई ठोस रणनीति नहीं थी। विभाग के पास डेटा संग्रह की पर्याप्त व्यवस्था नहीं थी, जिससे गड़बड़ियों की सही पहचान नहीं हो सकी। जब छापेमारी की गई तो जांच की प्रक्रिया भी लचर रही, जिससे दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई नहीं हो पाई।

CAG ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि सरकार ने नई शराब नीति लागू करने में कई अहम सिफारिशों को नजरअंदाज किया। नीति के तहत शराब की बिक्री का पूरा डेटा ऑनलाइन दर्ज किया जाना था, लेकिन यह व्यवस्था कारगर नहीं रही। शराब की बोतलों पर लगाए जाने वाले सुरक्षा लेबल की योजना भी पूरी तरह फेल हो गई, जिससे नकली शराब के धंधे को बढ़ावा मिला।

शराब नीति में बदलाव के दौरान कुछ कंपनियों को लाइसेंस का फायदा मिला, जबकि छोटे कारोबारियों को नुकसान हुआ। कुछ कंपनियों को खुदरा और थोक बिक्री दोनों का लाइसेंस मिल गया, जिससे बाजार में एकाधिकार और गुटबाजी बढ़ी। इस नीति से शराब बेचने वालों को तो फायदा हुआ, लेकिन सरकार को 2,000 करोड़ रुपये से ज्यादा का नुकसान झेलना पड़ा।

रिपोर्ट के मुताबिक, शराब लाइसेंस सरेंडर करने वालों से सरकार समय पर जुर्माना नहीं वसूल पाई, जिससे करीब 890 करोड़ रुपये की हानि हुई। वहीं, सरकार ने 941 करोड़ रुपये की छूट देकर राजस्व को और नुकसान पहुंचाया। यहां तक कि कोविड-19 के दौरान शराब विक्रेताओं को 144 करोड़ रुपये की छूट दे दी गई, जबकि टेंडर की शर्तों में ऐसी कोई छूट नहीं थी।

CAG की इस रिपोर्ट ने दिल्ली सरकार की आबकारी नीति और उसके क्रियान्वयन पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। रिपोर्ट के आने के बाद विपक्ष ने सरकार को घेरना शुरू कर दिया है और इस घोटाले की गहराई से जांच की मांग उठाई जा रही है। अब देखना होगा कि सरकार इस रिपोर्ट पर क्या कदम उठाती है।

नोट: हम बिजनेस हेडलाइन (BH) में अपनी नैतिकता को बहुत गंभीरता से लेते हैं। इस बारे में अधिक जानकारी यहाँ प्राप्त की जा सकती है।

- Advertisement -
Latest news
- Advertisement -
Related news
- Advertisement -

Leave a reply

Please enter your comment!
Please enter your name here

error: Content is protected !!