भारतीय जनता पार्टी (भा.ज.पा.) दिल्ली विधानसभा चुनाव के लिए अपनी रणनीति में बदलाव कर रही है, जिसमें अब दो चरणों में अभियान चलाने की योजना बनाई गई है। इस रणनीति का मुख्य उद्देश्य आप (आम आदमी पार्टी) के 10 साल के शासन की नाकामी को उजागर करना है, ताकि दिल्ली में आप को तीसरे कार्यकाल की सरकार बनाने से रोका जा सके।
भा.ज.पा. के एक वरिष्ठ नेता के अनुसार, पहले चरण में उन विधानसभा सीटों के उम्मीदवारों के घोषणा तक अभियान जारी रहेगा, जिसमें आप सरकारकी विफलताओं को विभिन्न मोर्चों पर प्रमुखता से उठाया जाएगा।
पहला चरण: आप सरकार की विफलताओं का प्रचार
पहले चरण में भा.ज.पा. दिल्ली भर में पोस्टर लगाएगी, जिनमें भा.ज.पा. शासित राज्यों के कार्यों की तुलना आप सरकार की कार्यशैली से की जाएगी। उदाहरण के लिए, भा.ज.पा. अहमदाबाद में साबरमती रिवरफ्रंट प्रोजेक्ट और दिल्ली की दूषित यमुना नदी के बारे में एक पोस्टर अभियान शुरू करने की योजना बना रही है। इन पोस्टरों में यह दिखाने की कोशिश की जाएगी कि भा.ज.पा. शासित राज्य कैसे विकास कार्यों में आगे हैं जबकि दिल्ली में आप सरकार इन मुद्दों को सुलझाने में विफल रही है।
इस दौरान, पार्टी की रणनीति यह होगी कि आप सरकार के संबंधित क्षेत्रों में विफलताओं को उजागर कर दिल्ली के लोगों को यह समझाया जाए कि उनके सामने एक बेहतर विकल्प है। इसके अलावा, यह अभियान दिल्लीवासियों के बीच सरकार की नीतियों और उनके प्रभाव पर चर्चा पैदा करेगा।
दूसरा चरण: भा.ज.पा. का चुनावी वादा और प्रधानमंत्री मोदी का दृष्टिकोण
कैंडिडेट्स की लिस्ट घोषित होने के बाद, भा.ज.पा. दूसरे चरण में अपने आगामी कार्यकाल के लिए अपनी योजना को प्रस्तुत करेगी। पार्टी दिल्ली की राजधानी के विकास के लिए अपनी योजनाओं का ऐलान करेगी और बताएगी कि यदि भा.ज.पा. सत्ता में आती है तो दिल्ली में क्या बदलाव आएगा।
सूत्रों के मुताबिक, भा.ज.पा. के जिला और मंडल स्तर के कार्यकर्ताओं को पहले ही पार्टी की योजनाओं को लोगों तक पहुंचाने के लिए तैनात किया जा चुका है।
भा.ज.पा. के वरिष्ठ नेता ने कहा, “प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने परिवर्तन रैली में कहा था कि विकसित भारत का सपना तब तक पूरा नहीं हो सकता जब तक देश की राजधानी विकसित न हो। हम दिल्ली के लोगों से कहेंगे कि एक विकसित भारत के लिए भा.ज.पा. को वोट दें।”
हिंदुत्व पर नहीं होगा फोकस
भा.ज.पा. के सूत्रों के मुताबिक, पार्टी दिल्ली चुनाव में हिंदुत्व की राजनीति पर जोर नहीं देगी। पार्टी नेताओं को निर्देश दिए गए हैं कि वे कोई भी मुस्लिम-विरोधी बयान न दें। यह निर्णय खासकर उत्तर प्रदेश की कुंदरकी विधानसभा उपचुनाव में भा.ज.पा. की जीत के बाद लिया गया है।
पिछले वर्ष नवंबर में, कुंदरकी विधानसभा सीट पर हुए उपचुनाव में भा.ज.पा. के उम्मीदवार रामवीर ठाकुर ने 11 मुस्लिम उम्मीदवारों को हराया और 1.4 लाख वोटों से जीत हासिल की। इस जीत के बाद भाजपा ने 30 वर्षों बाद इस सीट पर पुनः कब्जा किया था, जिससे पार्टी को यह संदेश मिला कि मुस्लिम समुदाय में भी भा.ज.पा. का समर्थन बढ़ा है।
भाजपा का सामूहिक नेतृत्व: कोई मुख्यमंत्री उम्मीदवार नहीं
दिल्ली में इस बार भा.ज.पा. मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार का ऐलान नहीं करेगी। पार्टी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और सामूहिक नेतृत्व के आधार पर चुनाव लड़ने का फैसला किया है। यह निर्णय दिल्ली इकाई में अंदरूनी गुटबाजी को ध्यान में रखते हुए लिया गया है। पार्टी को लगता है कि चुनाव में सामूहिक नेतृत्व का नाम लेकर वह जनता के बीच मजबूत संदेश भेज सकती है।
सूत्रों का कहना है, “यदि हम दिल्ली में सरकार बनाने की स्थिति में आए, तो हम मुख्यमंत्री पद के लिए एक नए चेहरे को मौका देंगे।”
भा.ज.पा. की यह दो चरणों में रणनीति आगामी दिल्ली विधानसभा चुनावों में अपनी मजबूत उपस्थिति दर्ज करने और आप सरकार के खिलाफ अपनी आलोचनाओं को प्रमुखता से प्रस्तुत करने का प्रयास है। पार्टी ने इस बार हिंदुत्व की राजनीति को किनारे रखते हुए विकास और प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व को प्रमुख बनाने का निर्णय लिया है। दिल्ली के चुनावी माहौल में, भा.ज.पा. अब यह साबित करने की कोशिश करेगी कि विकसित भारत के सपने को पूरा करने के लिए एक विकसित दिल्ली की आवश्यकता है, और इसके लिए केवल भा.ज.पा. ही सबसे बेहतर विकल्प है।