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Thursday, March 13, 2025

Budget 2025: डेट म्यूचुअल फंड्स पर इंडेक्सेशन लाभ बहाल करने की मांग

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एसोसिएशन ऑफ म्यूचुअल फंड्स इन इंडिया (AMFI) ने सरकार से डेट म्यूचुअल फंड स्कीम्स पर इंडेक्सेशन लाभ को बहाल करने की अपील की है। यह मांग AMFI के सीईओ वेंकट एन चलासानी ने इंडिया फिनटेक फोरम के IFTA 2024 इवेंट के दौरान 12 दिसंबर को की। 2023 में सरकार ने डेट म्यूचुअल फंड स्कीम्स से जुड़े टैक्स कानूनों में बदलाव किए थे, जिनका असर इन फंड्स की लोकप्रियता पर पड़ा है।

डेट म्यूचुअल फंड्स पर टैक्सेशन में बदलाव

1 अप्रैल 2023 से पहले, डेट म्यूचुअल फंड्स पर तीन साल से ज्यादा की होल्डिंग के लिए लॉन्ग-टर्म कैपिटल गेन (LTCG) पर 20% की दर से टैक्सलगता था, जिसमें इंडेक्सेशन का लाभ मिलता था। इंडेक्सेशन के जरिए निवेश की खरीद कीमत को मुद्रास्फीति के अनुसार समायोजित किया जाता था, जिससे टैक्स लायबिलिटी कम हो जाती थी।

लेकिन मार्च 2023 में वित्त विधेयक (Finance Bill) में संशोधनों के तहत इंडेक्सेशन लाभ को हटा दिया गया। अब, 1 अप्रैल 2023 के बाद खरीदे गए डेट म्यूचुअल फंड्स से होने वाले कैपिटल गेन को आयकर स्लैब दरों के अनुसार टैक्स किया जाता है, चाहे निवेश की अवधि कितनी भी हो।

जुलाई 2024 के बजट में और बदलाव

जुलाई 2024 के बजट में पूंजीगत लाभ कर (Capital Gains Tax) व्यवस्था में और बदलाव किए गए। 23 जुलाई 2024 से, सभी प्रकार की संपत्तियों (सूचीबद्ध और गैर-सूचीबद्ध प्रतिभूतियों सहित) से लॉन्ग-टर्म कैपिटल गेन पर 12.5% की दर से टैक्स लगाया जाएगा, लेकिन इसमें इंडेक्सेशन का विकल्प नहीं होगा।

हालांकि, डेट म्यूचुअल फंड्स को इस नई व्यवस्था से बाहर रखा गया है। इनसे होने वाले कैपिटल गेन पर अब भी आयकर स्लैब दर के अनुसार टैक्स लगेगा।

1 अप्रैल 2023 से पहले खरीदे गए डेट म्यूचुअल फंड्स के लिए:

  • 23 जुलाई 2024 के बाद बेचे जाने पर LTCG टैक्स की दर 20% से घटाकर 12.5% कर दी गई है।
  • लेकिन इंडेक्सेशन लाभ अब भी नहीं मिलेगा, जिससे टैक्स लायबिलिटी बढ़ सकती है।

1 अप्रैल 2023 के बाद खरीदे गए फंड्स के लिए:

  • कैपिटल गेन को शॉर्ट-टर्म माना जाएगा और उसे आयकर स्लैब दरों के अनुसार टैक्स किया जाएगा।

AMFI की मांग क्यों है महत्वपूर्ण?

AMFI के सीईओ वेंकट एन चलासानी ने इंडेक्सेशन लाभ को म्यूचुअल फंड्स के लिए एक प्रमुख आकर्षण बताया। डेट म्यूचुअल फंड्स मुख्य रूप से उन निवेशकों के लिए होते हैं जो कम जोखिम वाले साधनों में निवेश करना चाहते हैं। ये फंड्स बॉन्ड्स, ट्रेजरी बिल्स और वाणिज्यिक पत्रों जैसी फिक्स्ड-इनकम सिक्योरिटीज में निवेश करते हैं।

“हमें अधिक से अधिक लोगों को म्यूचुअल फंड्स में निवेश के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए, और इंडेक्सेशन को वापस लाना इसमें मदद करेगा,” चलासानी ने कहा।

निवेशकों पर प्रभाव

डेट म्यूचुअल फंड्स के लिए टैक्स नियमों में बदलाव ने इनकी आकर्षकता पर असर डाला है।

  • इंडेक्सेशन लाभ का नुकसान: पहले जहां निवेशकों को टैक्स बचाने का मौका मिलता था, अब यह सुविधा हटा दी गई है।
  • लंबी अवधि के निवेश में कमी: टैक्सेशन में बदलाव के कारण लंबे समय के लिए डेट म्यूचुअल फंड्स में निवेश कम हो सकता है।

आर्थिक प्रभाव

इन बदलावों ने डेट म्यूचुअल फंड्स में निवेश को लेकर चिंताएं बढ़ा दी हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि इंडेक्सेशन लाभ हटाने और अन्य एसेट क्लास को प्राथमिकता देने से निवेशकों की रुचि डेट फंड्स से कम हो सकती है। इससे देश के बॉन्ड मार्केट और अर्थव्यवस्था में धन के प्रवाह पर असर पड़ सकता है।

डेट म्यूचुअल फंड्स पर टैक्सेशन व्यवस्था में हाल के बदलावों ने निवेशकों के लिए इसे कम लाभदायक बना दिया है। AMFI की अपील इस तथ्य को उजागर करती है कि इंडेक्सेशन लाभ की बहाली से म्यूचुअल फंड्स की पहुंच और निवेश की लोकप्रियता बढ़ाई जा सकती है।

आगामी 2025 के बजट में यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि सरकार निवेशकों की इन चिंताओं का समाधान कैसे करती है और टैक्सेशन को अधिक संतुलित बनाती है।

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