अपने स्थगन प्रस्ताव में, टैगोर ने लिखा, “मैं आज मौजूदा सरकार के तहत भारत के विनिर्माण क्षेत्र में बढ़ते संकट की ओर ध्यान आकर्षित करने के लिए खड़ा हूँ। एक आत्मनिर्भर भारत को बढ़ावा देने के बजाय, यह सरकार एक अडानी-निर्भर भारत की दिशा में काम कर रही है, जहाँ केवल मुट्ठी भर कॉर्पोरेट दिग्गजों को लाभ होता है, जिससे देश के बाकी उद्योग और श्रमिक पीड़ित होते हैं।”
मेक इन इंडिया की करी आलोचना
टैगोर ने सरकार की प्रमुख पहल, मेक इन इंडिया की तीखी आलोचना की, जिसका उद्देश्य घरेलू विनिर्माण और रोजगार के अवसरों को बढ़ावा देना था। उन्होंने कहा, “मेक इन इंडिया केवल असेंबली का बन गया है, जिसमें सीमित वास्तविक उत्पादन हो है।” सांसद ने भारत के सकल घरेलू उत्पाद में विनिर्माण की घटती हिस्सेदारी की ओर इशारा किया, जो 2014 में 15% से गिरकर वित्त वर्ष 24 में सिर्फ 12.8% रह गई है। उन्होंने तर्क दिया कि यह सरकार के प्रारंभिक लक्ष्यों और भारतीय जनता से किये गए वादों के सीधे विरोधाभास है।
कांग्रेस नेता ने चीन के साथ व्यापार घाटे की स्थिति को भी उजागर किया
घरेलू उद्योगों पर इसके नकारात्मक प्रभावों पर जोर देते हुऐ टैगोर ने कहा, ” चीन के साथ व्यापार घाटा तीन गुना बढ़ गया है, जो 2013 में 35.2 बिलियन डॉलर से बढ़कर 2023 में 105.8 बिलियन डॉलर हो गया है, क्योंकि चीनी सामान भारतीय बाजार में भर गए हैं।” उन्होंने आगे तर्क दिया कि चीन से आयात में यह उछाल भारतीय व्यवसायों की प्रतिस्पर्धात्मकता को कमजोर कर रहा है और घरेलू बाजार को “अनुचित व्यापार प्रथाओं” से बचाने में विफल रहा है।
वितरण पर भी किया सवाल
टैगोर यहीं नहीं रुके। उन्होंने सरकार की उत्पादन-लिंक्ड प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना की भी आलोचना की, जिसका उद्देश्य विनिर्माण को प्रोत्साहित करना और आयात पर निर्भरता कम करना था। 1.97 लाख करोड़ रुपये के आवंटन के बावजूद, उन्होंने बताया कि आज तक केवल 11,000 करोड़ रुपये ही वितरित किए गए हैं, इस देरी को “संघर्षरत निर्माताओं के प्रति सरकार की लापरवाही और उदासीनता का स्पष्ट संकेत हैं ” सांसद के प्रस्ताव ने सरकार से इन महत्वपूर्ण को संबोधित करने का आह्वान किया। टैगोर ने कहा, “मैं सरकार से यह बताने का आग्रह करता हूं कि भारत का विनिर्माण क्षेत्र इतनी गिरावट में क्यों है, और इस प्रवृत्ति को पलटने तथा भारत को वास्तव में आत्मनिर्भर बनाने के लिए वह क्या ठोस कदम उठाएगी।”