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Thursday, March 13, 2025

भारतीय इक्विटी बाजार में अस्थिरता के बावजूद सकारात्मक संकेत, बैंकिंग क्षेत्र में उछाल

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भारतीय इक्विटी बाजार में आज के सत्र के दौरान अस्थिरता जारी रही, और इसमें वैश्विक कारकों के साथ-साथ घरेलू आर्थिक संकेतक भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। हालांकि, भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) द्वारा बैंकों के लिए जोखिम भार कम करने के निर्णय से बैंकिंग क्षेत्र में तेजी आई है। इस रिपोर्ट में हम विस्तार से भारतीय इक्विटी बाजार के मौजूदा हालात, वैश्विक संकेतक, और निवेश रणनीतियों पर चर्चा करेंगे।

बाजार की स्थिति:

सुबह के सत्र में भारतीय शेयर बाजार में व्यापक बिकवाली का माहौल रहा, जिसमें अधिकांश क्षेत्रों में गिरावट देखी गई। खासतौर पर स्मॉल-कैप और मिड-कैप सूचकांक में बड़ी गिरावट आई, जबकि निफ्टी 50 और सेंसेक्स ने सीमित रूप से गिरावट दर्ज की।

सेंसेक्स 27.73 अंक या 0.04% की मामूली वृद्धि के साथ 74,629.85 पर कारोबार कर रहा था। इसमें 12 शेयरों में तेजी और 18 शेयरों में गिरावट आई। बीएसई मिड-कैप सूचकांक में 1.02% की गिरावट आई, जबकि स्मॉल-कैप सूचकांक 1.85% नीचे था। वहीं, निफ्टी 50 ने 14.70 अंक या 0.07% की गिरावट के साथ 22,532.85 पर कारोबार किया।

निफ्टी में 17 शेयरों में तेजी और 33 शेयरों में गिरावट आई। निफ्टी पर शीर्ष लाभार्थी श्रीराम फाइनेंस (4.43% ऊपर), बजाज फाइनेंस (2.56% ऊपर), बजाज फिनसर्व (2.18% ऊपर), इंडसइंड बैंक (1.61% ऊपर), और एचडीएफसी बैंक (1.09% ऊपर) थे। वहीं, अल्ट्राटेक सीमेंट (-5.72%), ग्रासिम इंडस्ट्रीज (-2.52%), महिंद्रा एंड महिंद्रा (-2.24%), ट्रेंट (-2.20%), और हीरो मोटोकॉर्प (-2.19%) जैसे प्रमुख शेयरों में गिरावट आई।

वैश्विक संकेत और आर्थिक स्थिति:

वैश्विक बाजारों की स्थिति भी भारतीय शेयर बाजार की अस्थिरता को प्रभावित कर रही है। अधिकांश एशियाई बाजार आज लाल रंग में कारोबार कर रहे थे। मलेशिया के उत्पादक कीमतों में जनवरी में वृद्धि ने चिंता को और बढ़ा दिया। जनवरी में उत्पादक कीमतें 0.8% बढ़ी थीं, जो दिसंबर में 0.5% की वृद्धि से अधिक थी। कृषि, वानिकी, और मछली पालन के लिए मूल्य सूचकांक में 16.5% की वृद्धि हुई, जो आर्थिक वृद्धि और मुद्रास्फीति को लेकर चिंता का कारण बना।

इसके अलावा, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की व्यापार नीतियों और उनके संभावित प्रभाव ने भी वैश्विक बाजारों में अनिश्चितता का माहौल बना दिया है। विदेशी संस्थागत निवेशकों (FII) की निरंतर बिक्री और इसके परिणामस्वरूप भारतीय शेयर बाजार में कमजोरी आ रही है। हालांकि, भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा बैंकिंग क्षेत्र को राहत देने वाले निर्णय से भारतीय शेयर बाजार पर एक सकारात्मक असर पड़ा।

भारतीय रिजर्व बैंक की नीतियां और बैंकिंग क्षेत्र:

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने बैंकों के लिए जोखिम भार कम करने का निर्णय लिया है, जिससे बैंकों की लोन देने की क्षमता में वृद्धि होगी। खासकर, NBFCs (नॉन-बैंकिंग फाइनेंस कंपनियां) और माइक्रोफाइनेंस ऋणों के लिए बैंकों के लिए जोखिम भार में कमी से इन क्षेत्रों में ऋण वृद्धि को बढ़ावा मिलेगा। कम जोखिम भार का मतलब यह है कि उधारदाताओं को उपभोक्ता ऋणों के लिए कम राशि अलग रखनी होगी, जिससे उनकी ऋण देने की क्षमता में वृद्धि होगी। इस फैसले से भारतीय बैंकिंग क्षेत्र में उत्साह बढ़ा है और बैंकिंग शेयरों में तेजी आई है।

भारतीय बाजार की चुनौतियाँ और भविष्य की दिशा:

भारतीय बाजार के लिए भविष्य में कई चुनौतियाँ बनी रहेंगी। वैश्विक आर्थिक अस्थिरता, अमेरिकी व्यापार नीतियों की अनिश्चितता, और FII की बिक्री ने भारतीय इक्विटी बाजार को प्रभावित किया है। इसके अलावा, घरेलू आर्थिक संकेतकों और निवेशकों की भावना भी अहम भूमिका निभाएंगी।

हालांकि, भारतीय अर्थव्यवस्था के मजबूत बुनियादी सिद्धांत और सरकार की नीतियों से बाजार में सुधार की उम्मीदें बनी हुई हैं। वित्तीय वर्ष 2024-25 के लिए सरकारी घोषणाओं और सुधारों से भारतीय बाजार को बल मिल सकता है।

निवेश रणनीति:

वर्तमान अस्थिरता के बावजूद, निवेशकों के लिए कुछ स्थिरता वाले क्षेत्रों में निवेश करने की संभावना बनी हुई है। विशेषज्ञों का कहना है कि निवेशकों को इस समय अपनी रणनीतियों को पुनः परिभाषित करना चाहिए और जोखिमों को ध्यान में रखते हुए दीर्घकालिक निवेश की ओर रुख करना चाहिए।

वर्तमान में, लार्ज-कैप शेयरों में निवेश करने का विकल्प अधिक आकर्षक हो सकता है, क्योंकि ये शेयर अधिक स्थिरता प्रदान कर सकते हैं। इसके अलावा, बैंकिंग क्षेत्र में हालिया फैसलों से लाभ उठाने की संभावना भी है। खासतौर पर, NBFCs और माइक्रोफाइनेंस क्षेत्र में उधारी बढ़ने से इन कंपनियों के शेयरों में वृद्धि हो सकती है।

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