मराठा राजा छत्रपति शिवाजी महाराज के वंशज और सतारा से भारतीय जनता पार्टी (BJP) के सांसद उदयनराजे भोसले ने छत्रपति संभाजीनगर जिले में मुगल बादशाह औरंगजेब के मजार को हटाने की मांग की थी। उन्होंने कहा कि औरंगजेब, जिन्होंने छत्रपति शिवाजी महाराज के खिलाफ युद्ध लड़ा और मराठों पर अत्याचार किया, उनका मजार यहां नहीं होना चाहिए। उसकी बात ने इस मुद्दे पर चल रहे सामाजिक और राजनीतिक विवाद को और तीव्र कर दिया है।
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने इस मुद्दे पर प्रतिक्रिया दी है और कहा कि सभी लोग मानते हैं कि छत्रपति संभाजीनगर में औरंगजेब की मजार को हटाया जाना चाहिए, लेकिन ऐसा करने के लिए कानून का पालन करना चाहिए। साथ ही उन्होंने कहा कि इस स्थान को भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) के संरक्षण में पिछली कांग्रेस सरकार ने दिया था, इसलिए इसे हटाने के लिए कानूनी प्रक्रिया पूरी होनी चाहिए।
महाराष्ट्र का इतिहास, राजनीति और समाज हमेशा से ही कठिन और गंभीर मुद्दों का केंद्र रहा है, और हाल ही में उठे औरंगजेब के मजार को हटाने के मुद्दे ने इसे और भी गंभीर बना दिया है। यह मुद्दा महत्वपूर्ण है क्योंकि यह सामाजिक, राजनीतिक और धार्मिक है। उदयनराजे भोसले जैसे नेता इसे छत्रपति शिवाजी महाराज की प्रतिष्ठा और मराठा साम्राज्य से जोड़कर देखते हैं। उनका कहना है कि औरंगजेब का मजार मराठों के इतिहास और संघर्ष का प्रतीक है और इसे हटाना चाहिए।
लेकिन यह सवाल उठता है कि क्या ऐतिहासिक स्थानों को बिना किसी कानूनी प्रक्रिया के हटाना सुरक्षित होगा, खासकर जब वे भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) के संरक्षण में हैं? राजनीतिक दल ही नहीं, समाज के अलग-अलग हिस्सों ने भी इस पर बहस की है। कुछ लोग इसे इतिहास को बदलने की कोशिश समझते हैं, वहीं दूसरे इसे सांस्कृतिक पुनर्निर्माण समझते हैं।
सरकार का कहना है कि इस मामले में कोई भी कार्रवाई उचित प्रक्रिया के तहत और कानून के दायरे में की जाएगी। यह निश्चित रूप से महाराष्ट्र की राजनीति में एक नया मोड़ है, और इसके बाद क्या होगा, देखना दिलचस्प होगा।