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Friday, March 14, 2025

10 फरवरी 2013 मौनी अमावस्या; 1000 लोगों की मौत, कफ़न के लिए रातभर भटकते रहे लोग! कुंभ में भगदड़ की कहानियां

2013 के महाकुंभ मेले को कई अधिकारियों और विभागों ने मिलकर संचालित किया था। राज्य सरकार, जिला प्रशासन, पुलिस और कई अन्य सरकारी और गैर-सरकारी संस्थाएं इसमें शामिल थीं।लेकिन उत्तर प्रदेश सरकार और इलाहाबाद जिला प्रशासन ने इस आयोजन में सबसे अधिक योगदान दिया था। उस समय उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने इस महत्वपूर्ण कार्यक्रम की सफलता सुनिश्चित करने के लिए बहुत कुछ किया।

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2013 के महाकुंभ मेले को कई अधिकारियों और विभागों ने मिलकर संचालित किया था। राज्य सरकार, जिला प्रशासन, पुलिस और कई अन्य सरकारी और गैर-सरकारी संस्थाएं इसमें शामिल थीं।लेकिन उत्तर प्रदेश सरकार और इलाहाबाद जिला प्रशासन ने इस आयोजन में सबसे अधिक योगदान दिया था। उस समय उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने इस महत्वपूर्ण कार्यक्रम की सफलता सुनिश्चित करने के लिए बहुत कुछ किया।

दस फरवरी 2013  मौनी अमावस्या 

दस फरवरी 2013 को मौनी अमावस्या थी। उस दिन कुंभ में तीन से चार करोड़ लोगों ने डुबकी लगाई थी। प्रयागराज स्टेशन पर इतनी भीड़ थी कि फ्लाईओवर पर पैर रखने तक की जगह नहीं थी। रेलवे प्रशासन ने चौक में स्नान करने वाले यात्रियों के लिए बाड़े बनाए थे। इसका मकसद था कि यात्रियों के लिए बाड़े खोले जाएंगे जिस तरफ ट्रेन आएगी, ताकि वे आराम से अपनी ट्रेन पकड़ सकें। लेकिन 10 फरवरी 2013 को लापरवाही से पूरा सिस्टम फेल हो गया। इसका परिणाम यह हुआ कि स्टेशन पर पर्यटकों की भीड़ बढ़ गई और कई ट्रेनें लेट चलीं।

ट्रेन प्लेटफार्म नंबर 06 के बजाय 01 प्लेटफार्म पर आ रही है

रेलवे ने अचानक बताया कि ट्रेन प्लेटफार्म नंबर 6 के बजाय एक और प्लेटफार्म पर आ रही है। फिर क्या हुआ? ट्रेन पकड़ने के लिए लोग दूसरे प्लेटफार्म की ओर भागने लगे। तभी भीड़ को नियंत्रित करने के लिए GRP ने लाठी भाजनी शुरू की। बस इतना था कि कुछ लोग एक के उपर गिरने लगे, कुछ दब गए, और कई लोग ओवरब्रिज से नीचे गिर गए। देखते ही वहाँ शोर मचने लगा। स्टेशन पर शवों के ढेर लगने लगे। बुरी तरह घायल लोगों ने समय पर इलाज न मिलने से वहीं मर गए। इसलिए कोई अपनों की खोज करता रहा। वह भयानक दृश्य था।

कफन में भटक रहे थे लोग

रेलवे का कुंभ वार्ड बंद था। रेलवे के वरिष्ठ अधिकारी ने मौके पर पहुंचकर कुंभवार्ड का ताला खोला। लेकिन इस रेलवे अस्पताल में रुई पट्टी के अलावा कोई व्यापक व्यवस्था नहीं थी। आक्सीजन सिलेंडर खाली था और दवा नहीं थी। इलाज नहीं मिलने के कारण भगदड़ में कुछ लोग मर गए। उस भगदड़ के दौरान सरकार ने तुरंत कार्रवाई नहीं की, जिससे लोग वहां भटकते रहे। अस्पताल के बाहर दुकानदारों ने कफन बारह सौ से पंद्रह सौ तक बेचने लगे, और पुलिस ने भी हद कर दी।

लेकिन अब साल बीत चूका है और अब  2025 का महा- कुंभ चल रहा है.वहीँ अखिलेश यादव ने योगी आदित्यनाथ पे वार करते हुए कहाँ की

मैं लोकसभा से इस्तीफा दे दूंगा

अखिलेश ने कहा, “जब देश के राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री ने शोक संवेदना व्यक्त की तो 17 घंटे बाद राज्य सरकार ने इसे स्वीकार किया।” ये लोग आज भी सच्चाई को नहीं मानते।अपने भाषण में अखिलेश यादव ने कहा कि कई टीवी चैनलों और विज्ञापनों ने बताया कि महाकुंभ में 100 करोड़ लोगों का आगमन होगा। मैं लोकसभा से इस्तीफा दे दूंगा अगर मैं झूठ बोल रहा हूँ

वहीँ उन्होंने इस बार के महा कुंभ पर सवाल उठाया :

मरने वाले को डिजिटल कुंभ करवाने वाले नहीं बता पा रहे हैं।महाकुंभ हादसे के आंकड़े क्यों दबाए, मिटाए और छिपाए गए? महाकुंभ में पुरानी परंपरा टूटी,जिसमें अखाड़ों का स्नान मनमाने वाले लोग पुण्य कमाने आए थे.प्रधानमंत्री ने अपनों का शव पर शोक जताया।

लेकिन अगर हम 2013 और 2025 के महा कुंभ की तुलना करेगें तो 2025 का कुंभ सुरक्षित था . 40 करोड़ के लोगो के आने का इंतजाम करना कोई मामूली बात नहीं है .

2025 में प्रयागराज के महाकुंभ मेले में भाग लेने वाले करोड़ों लोगों की सुरक्षा के लिए कड़े प्रबंध बनाए गए हैं। ये प्रमुख सुरक्षा प्रणाली हैं:

तीन स्तर की सुरक्षा:मेला क्षेत्र में प्रवेश और आवाजाही को नियंत्रित करने के लिए कई कॉर्डन और चेकपॉइंट हैं, सात-स्तरीय सुरक्षा योजना लागू की गई है।ताकि यातायात को नियंत्रित किया जा सके और भीड़भाड़ को रोका जा सके, पूरे मेला क्षेत्र को “नो व्हीकल ज़ोन” घोषित किया गया है।

तकनीकी संवर्द्धन: 2,700 से अधिक CCTV कैमरे लगाए गए हैं, जो वास्तविक समय की निगरानी और भीड़ प्रबंधन के लिए AI-इनेबल हैं। AI-चालित डेटा एनालिटिक्स सिस्टम CCTV फीड की निगरानी करने और संदिग्ध गतिविधियों का पता लगाने के लिए बनाए जा रहे हैं।हवाई निगरानी के लिए टेथर्ड ड्रोन और एंटी-ड्रोन सिस्टम लगाए गए हैं।

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