फास्ट मूविंग कंज्यूमर गुड्स (FMCG) क्षेत्र की प्रमुख कंपनी अडानी विलमार (Adani Wilmar) के संस्थापक ने गुरुवार की शाम एक बड़ा ऐलान किया है। इसके तहत, अडानी विलमार में अपनी हिस्सेदारी को ऑफर फॉर सेल (OFS) के माध्यम से बेचने का निर्णय लिया गया है। इस प्रक्रिया के तहत अडानी ग्रुप के प्रमोटर एंटिटी अडानी कमोडिटीज़, कंपनी में 13.5% हिस्सेदारी (17.54 करोड़ शेयर) बेचने की योजना बना रही है।
अडानी विलमार द्वारा बृहस्पतिवार को की गई एक एक्सचेंज फाइलिंग में यह जानकारी दी गई है। इस हिस्सेदारी की बिक्री का आकार बेस इश्यू साइज के रूप में तय किया गया है। कंपनी को इसके अतिरिक्त ग्रीन शू विकल्प का भी अवसर मिलेगा, जिसके तहत वह अतिरिक्त 6.5% हिस्सेदारी और बेच सकती है। इस बिक्री की कीमत ₹275 प्रति शेयर तय की गई है, जो कि अडानी विलमार के गुरुवार को बंद होने वाले शेयर मूल्य ₹324.1 से लगभग 15% की छूट पर है।
अडानी विलमार के प्रमोटर अडानी कमोडिटीज़ का वर्तमान में अडानी विलमार में 43.94% हिस्सा है, जबकि विलमार इंटरनेशनल, जो अडानी विलमार का दूसरा प्रमोटर है, के पास भी समान 43.94% हिस्सेदारी है।
OFS की प्रक्रिया
अडानी विलमार के इस ऑफर फॉर सेल की शुरुआत 10 जनवरी 2025 को गैर-रिटेल निवेशकों (Non-Retail Investors) से होगी। वहीं, रिटेल निवेशक 13 जनवरी से इस हिस्सेदारी बिक्री में भाग ले सकेंगे।
इस बिक्री का प्रमुख उद्देश्य अडानी विलमार में सार्वजनिक हिस्सेदारी को बढ़ाना और कंपनी के शेयर बाजार में सूचीबद्धता को सुनिश्चित करना है। अडानी एंटरप्राइजेज़, जो अडानी ग्रुप का झंडा वाहक है, ने पिछले महीने यह घोषणा की थी कि वह अडानी विलमार में अपनी हिस्सेदारी को कम कर देगा। इसके तहत, अडानी एंटरप्राइजेज़ ने 13% हिस्सेदारी को ऑफर करने की योजना बनाई है, जबकि विलमार इंटरनेशनल बाकी 31% हिस्सेदारी को खरीदेगा।
वर्तमान स्थिति और Adani Wilmar का प्रदर्शन
Adani Wilmar की कुल बाजार पूंजीकरण में यह हिस्सेदारी बिक्री एक अहम मोड़ साबित हो सकती है। अडानी एंटरप्राइजेज़ का वर्तमान में अडानी विलमार में 18,500 करोड़ रुपये (लगभग 2 अरब डॉलर) का निवेश है।
गुरुवार को अडानी विलमार के शेयर ₹324.1 पर बंद हुए, जो कि पिछले कारोबारी दिन के मुकाबले 0.6% की गिरावट को दर्शाता है। इस घोषणा के बाद अडानी विलमार के शेयरों में आने वाले दिनों में कुछ उतार-चढ़ाव देखा जा सकता है।
अडानी ग्रुप के इस निर्णय से निवेशकों के बीच हलचल मच सकती है, खासकर उन निवेशकों के लिए जो अडानी विलमार में निवेश करने का मन बना रहे हैं। ओएफएस की प्रक्रिया के दौरान इस तरह की छूट और अवसर के चलते कंपनी के शेयरों पर दबाव और आकर्षण दोनों का असर देखने को मिल सकता है।