9 अगस्त 2024 को पश्चिम बंगाल में एक डराने वाला हादसा सामने आया, जिसने घर या बाहर बैठी बेटियों को भयभीत कर दिया। आर. जी. कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में एक 31 वर्षीय महिला स्नातकोत्तर प्रशिक्षु डॉक्टर का बलात्कार और हत्या कर दिया गया था। उसका शव परिसर में एक सेमिनार कक्ष में पाया गया।
केरल से भी एक ऐसी घटना सामने आई है जिसने पूरे राज्य को डरा दिया है। पथनमथिट्टा जिले में एक दलित लड़की के कथित यौन शोषण के मामले में कुल 59 आरोपियों में से 57 को गिरफ्तार किया गया है। जिला पुलिस प्रमुख वी. जी. विनोद कुमार ने बताया कि इस संबंध में पहला मामला 10 जनवरी को इलावुमथिट्टा पुलिस थाने में दर्ज किया गया था और दो आरोपियों को छोड़कर सभी नामजद आरोपियों को व्यापक जांच के बाद गिरफ्तार किया गया है।
जिन दो आरोपियों की गिरफ्तारी नहीं हुई है, वे फिलहाल देश में नहीं हैं। अधिकारी ने कहा कि गिरफ्तार किया गया अंतिम आरोपी 25 वर्षीय युवक था, जिसे रविवार सुबह उसके घर के पास से पकड़ा गया। भारतीय पुलिस सेवा (IPS) की महिला अधिकारी एस. अजिता बेगम के नेतृत्व में एक विशेष जांच दल जिला पुलिस प्रमुख की देखरेख में मामले की जांच कर रहा है।
अधिकारी ने बताया कि पीड़िता के बयान के आधार पर जिले के चार पुलिस थानों में कुल 30 मामले दर्ज किए गए हैं। आरोपियों में पांच नाबालिग भी शामिल हैं। उन्होंने कहा कि पुलिस टीम का मकसद जांच पूरी कर जल्द से जल्द आरोप पत्र प्रस्तुत करना है। पुलिस ने बताया कि अब तक की जांच में पता चला है कि कई आरोपियों ने लड़की से पथनमथिट्टा के एक निजी बस अड्डे पर मुलाकात की थी। इसके बाद उसे वाहनों में अलग-अलग जगहों पर ले जाया गया और उसका उत्पीड़न किया गया।
पुलिस ने बताया कि जांच में पाया गया कि पिछले साल जब लड़की 12वीं कक्षा में पढ़ रही थी, तो उसे इंस्टाग्राम के जरिए जानने वाला एक युवक रन्नी के एक रबर बागान में ले गया, जहां उसने तीन अन्य लोगों के साथ मिलकर उसके साथ बलात्कार किया। पुलिस ने बताया कि जांच में सामने आया कि पीड़िता के साथ कम से कम पांच बार सामूहिक दुष्कर्म किया गया, जिसमें कार के अंदर और जनवरी 2024 में पथनमथिट्टा जनरल अस्पताल में हुई घटनाएं भी शामिल हैं।
पुलिस के मुताबिक पीड़िता की उम्र अब 18 साल है और उसने शिकायत की है कि 13 साल की उम्र से अब तक उसका 62 लोगों ने यौन उत्पीड़न किया है। यह मामला बाल कल्याण समिति द्वारा आयोजित परामर्श सत्र के दौरान प्रकाश में आया, जब एक शैक्षणिक संस्थान में पीड़िता के शिक्षकों ने समिति को उसके व्यवहार में उल्लेखनीय परिवर्तन के बारे में बताया। इसके बाद समिति ने पुलिस को सूचित किया और जांच शुरू हुई।