राजस्थान हाईकोर्ट: मंगलवार को स्वयं धर्मगुरु आसाराम बापू को अंतरिम जमानत दी। आसाराम बलात्कार के एक मामले में उम्रकैद की सजा काट रहे हैं। अदालत ने यह राहत उनकी बिगड़ती सेहत और मानवीय आधार पर दी है। इससे एक हफ्ते पहले, सुप्रीम कोर्ट ने भी उन्हें एक अन्य बलात्कार मामले में 31 मार्च तक जमानत दी थी।
जस्टिस दिनेश मेहता और जस्टिस विनीत कुमार माथुर की पीठ ने यह आदेश दिया। हाईकोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट द्वारा लगाए गए शर्तों को बरकरार रखा है, जिनमें आसाराम को जमानत के दौरान अपने followers से मिलने पर रोक शामिल है। अगर वह जोधपुर के बाहर यात्रा करते हैं, तो उन्हें तीन पुलिसकर्मियों के यात्रा खर्च को वहन करना होगा।
आसाराम को अप्रैल 2018 में जोधपुर आश्रम में नाबालिग से बलात्कार के मामले में उम्रकैद की सजा सुनाई गई थी। इसके बाद जनवरी 2023 में गांधीनगर आश्रम की एक महिला द्वारा लगाए गए बलात्कार के आरोप में उन्हें दूसरी उम्रकैद की सजा हुई।
हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया कि यह जमानत सिर्फ मानवीय आधार पर दी गई है। अदालत ने कहा कि जमानत की अवधि समाप्त होने से पहले उनकी स्वास्थ्य स्थिति की पुनः जांच की जाएगी।
सुप्रीम कोर्ट में, वरिष्ठ वकील देवदत्त कामत और उनके साथियों ने आसाराम की जमानत के लिए दलील दी। उन्होंने prosecution पक्ष के मामले में खामियां बताईं और तर्क दिया कि सजा केवल बिना पुष्टि वाले गवाहों की गवाही पर आधारित है।
आसाराम के वकील निशांत बोरा ने कहा कि हाईकोर्ट में दाखिल जमानत याचिका सुप्रीम कोर्ट की याचिका जैसी ही थी। शर्तें भी लगभग समान थीं, बस एक नई शर्त जोड़ी गई कि जोधपुर के बाहर यात्रा के लिए पुलिसकर्मियों के खर्च का वहन आसाराम करेंगे।
मार्च 2024 में, राजस्थान हाईकोर्ट ने आसाराम को जोधपुर के ‘आरोग्यधाम सेंटर’ में पुलिस निगरानी में आयुर्वेदिक इलाज की अनुमति दी थी। इसके बाद दिसंबर 2024 में उन्हें 15 दिनों की पैरोल दी गई थी, जिसे इलाज के लिए यात्रा के वास्ते 2 दिन बढ़ाया गया था।
यह फैसला दिखाता है कि अदालतें गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं को ध्यान में रखते हुए मानवीय दृष्टिकोण अपनाने का प्रयास करती हैं।