“पता जब मैं छोटा था/थी तोह मेरे घर वाले खास कर मेरे अंकल मेरी तुलना बाकि बच्चों से करते थे जिसके कारण में बहुत परेशान था/थी और दूसरे लोग भी मुझे परेशान करने लगे क्यूंकि मेरे मार्क्स कम आने लगे थे हर एग्जाम में,उनके ही कारण में आज ऐसा/ऐसी हूँ ” इस तरह की अमुक बाते जब शुरु हो जाये तो थोड़ा सा संबल जाइये क्यूंकि यह तो उदाहरण हैं उन बातों का जो एक साधारण रिलेशनशिप में होती ही हैं पर कुछ ज्यादा समझदार लोग ऐसी बातों का जाल बुन कर आपसे भावनात्मक रूप में जुड़ कर आपको मानसिक हानि भी दें सकते हैं, आप बहुत करीब चले जाओगे उनके और फिर वो आप को अपने से दूर करने लंगेंगे
क्या आप का पार्टनर भी आप को अपने से जुड़ी अतीत की दुखभरी घटनाये सुनाता है, तो हो जाइये सतर्क और जानिए floodlighting के बारे में
floodlighting एक ऐसा dating term है जो ट्रेंड में है और आज कल के युवाओं में कॉमन है पर यह रिश्तों में दावं पेंच के तौर पर भी उपयोग में लिया जाता है
- Advertisement -
बदलती जनरेशन डेटिंग पर ज्यादा यकीन करती है. दरअसल सोशल मीडिया और डेटिंग ऐप्स कई पार्टनर के ऑप्शन देते हैं. जरूरी नहीं कि जिसको डेट किया जाए, उससे लंबे समय तक रिलेशनशिप चले. युवाओं की बदलती पसंद के चलते रिलेशनशिप में कई तरह की चाले चली जाती हैं जिससे सामने वाले का आंकलन, व्यवहार, मनोदशा देखि और समझी जा सके
रिलेशनशिप एक्सपर्ट के अनुसार फ्लडलाइटिंग और कुछ नहीं बल्कि डेटिंग की शुरुआत का समय है. इसमें व्यक्ति पार्टनर की अटेंशन पाने के लिए अपनी छोटी-छोटी बातें शेयर करने लगता है. वह एक ही मुलाकात में अपने बचपन की खराब यादें, टॉर्चर, कोई सदमा या पैरेंट्स से रिश्ते जैसे हर बात की ओवरशेयरिंग करता हैं हर बार आप के सामने वो बात रिपीट भी करता हैं.
व्यक्ति जो अपने पार्टनर से बातें शेयर करता है, वह जरूरी नहीं सच ही हो . कई लोग झूठी बातें बनाकर सामने वाले की सहानुभूति पाने के लिए यह सब करते हैं. यह रिश्ता मैनिपुलेटिव डेटिंग का हिस्सा है मतलब की पार्टनर के दिमाग पर कब्जा करने की कोशिश, इससे रिलेशनशिप में धोखा भी मिलने का डर होता है क्योंकि इसमें एक व्यक्ति दूसरे व्यक्ति से इमोशनली कनेक्ट हो जाता है जबकि दूसरा गेम खेल रहा होता है.
जब व्यक्ति डेट करने वाले शख्स से इमोशनल होने की कोशिश करता है तो वह उन्हें महसूस कराता है कि उनका पार्टनर उनके लिए बेहद खास है और वह उसे कभी नहीं छोड़ेंगे. ऐसे में पार्टनर पर मेंटल प्रेशर बढ़ जाता है क्योंकि वह सोचते हैं कि वह अपने प्यार को कभी अकेला नहीं छोड़ेंगे. वह इस बात से अनजान रहते हैं कि सामने वाला व्यक्ति उन्हें इमोशनल तरीके से कंट्रोल कर रहा है.
एक वास्तविक व्यक्ति हमेशा पहली मुलकात में साधारण रहने की कोशिश ही करता हैं वो सारी बाते आप को शेयर नहीं करता जो उसके लिये दुखदायी थी. इसका ठीक उल्टा वो लोग करते हैं जो खुद को विक्टिम बनाते हैं ताकि सामने वाले से सहानुभूति ली जा सके जबकि ऐसा नहीं होता. पहली मुलाकात में इस तरह की बातें सामने वाले को नेगेटिव इंसान बना सकती है. कई बार लोग इस तरह की बातें सुनकर रिलेशनशिप में थका हुआ महसूस करते हैं
फ्लडलाइटिंग में इंसान सोचता है कि उसे समझा जाए, उससे प्यार किया जाए. जबकि वह खुद दूसरे इंसान को नहीं समझना चाहता. वह केवल अपनी बात कहना चाहता है. ऐसे लोग अटेंशन पाना चाहते हैं और सेल्फिश भी हो सकते हैं . ऐसे लोगों से सहानुभूति रखें लेकिन अपना दायरा भी बनाकर रखें. ऐसे लोग खतरनाक भी साबित हो सकते हैं इसलिए उनसे इमोशनली अटैच ना हों. और इसके साथ ही क़ोई भी रिलेशनशिप,माहौल, या व्यक्ति को समझने के लिये खुद की समझदारी सर्वोपरी मानी जाती हैं
- Advertisement -
- Advertisement -