32.1 C
Delhi
Thursday, March 13, 2025

“भारत ने महाकुंभ के दौरान दुनिया के सामने अपनी सभ्यता, संस्कृति और संस्कारों का प्रदर्शन किया है”- स्वामी अवधेशानंद गिरि महाराज

26 फरवरी यानि आज महा कुम्भ का आखरी दिन है इस अवसर पर जूना अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरि महाराज ने बुधवार को कहा कि देश की लगभग आधी आबादी ने महाकुंभ में भाग लिया, जिसने दुनिया को भारत की सभ्यता और संस्कृति का प्रदर्शन कर भारत के संस्कारों के बारे मे बताया ।

- Advertisement -spot_img
- Advertisement -

26 फरवरी यानि आज महा कुंभ का आखरी दिन है इस अवसर पर जूना अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरि महाराज ने बुधवार को कहा कि देश की लगभग आधी आबादी ने महाकुंभ में भाग लिया, जिसने दुनिया को भारत की सभ्यता और संस्कृति का प्रदर्शन कर भारत के संस्कारों के बारे मे बताया ।

महा शिवरात्रि के अवसर पर काशी विश्वनाथ मंदिर में पूजा-अर्चना करने के बाद गिरि महाराज ने पत्रकारों से कहा की “भारत की लगभग आधी आबादी कुंभ में पहुंची। सभी जाती , धार्मिक मान्यताओं और विचारों के लोग यहां एक साथ आए। दुनिया ने हमारी एकता देखी वहीँ ” उन्होंने महाकुंभ के लिए “भव्य” व्यवस्थाओं के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को धन्यवाद दिया।

उन्होंने कहा, “दुनिया ने हमारी सभ्यता और संस्कृति की झलक देखी…भारत की आधी आबादी ने यहां कुंभ में विश्व के कल्याण के लिए प्रार्थना की…कुंभ आज संपन्न हो गया…मैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को इस भव्य आयोजन के लिए धन्यवाद देता हूं और बधाई देता हूं।”

आपकी जानकारी के लिए बता दें की इस बीच, निरंजनी अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी कैलाशानंद गिरि महाराज ने कहा कि सभी पांचों अखाड़ों ने महाकुंभ की पूर्णाहुति के लिए काशी विश्वनाथ मंदिर में पूजा-अर्चना की। उन्होंने कहा, “महाशिवरात्रि के अवसर पर सभी पांचों अखाड़ों ने महादेव की पूजा-अर्चना की और महाकुंभ की पूर्णाहुति के लिए अभिषेक किया।” महाकुंभ के अंतिम स्नान पर बुधवार की सुबह प्रयागराज के त्रिवेणी संगम पर देश भर से बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचे। महाकुंभ के अंतिम दिन पवित्र स्नान के लिए त्रिवेणी संगम पर ड्रोन से ली गई तस्वीरों में श्रद्धालुओं की भीड़ दिखी। एक श्रद्धालु ने एएनआई से बात की और

महाकुंभ के आखिरी दिन पर अपनी उत्सुकता जाहिर की।

“मैं अपनी भावनाओं को शब्दों में बयां नहीं कर सकता… हम यहां बहुत उत्साह के साथ आए हैं… हम यहां इसलिए आए हैं क्योंकि यह महाकुंभ का आखिरी दिन है। हम सौभाग्यशाली हैं कि हमें मां गंगा का आशीर्वाद मिला है,”

पौष पूर्णिमा का पहला अमृत स्नान 13 जनवरी को शुरू हुआ, उसके बाद 14 जनवरी को मकर संक्रांति, 29 जनवरी को मौनी अमावस्या, 3 फरवरी को बसंत पंचमी, 12 फरवरी को माघी पूर्णिमा और 26 फरवरी को महा शिवरात्रि पर अंतिम स्नान हुआ। महाकुंभ में कई अखाड़ों ने हिस्सा लिया, जिनमें निरंजनी अखाड़ा, आह्वान अखाड़ा और जूना अखाड़ा शामिल हैं, जो संन्यासी परंपरा का सबसे बड़ा अखाड़ा है।

- Advertisement -
Latest news
- Advertisement -
Related news
- Advertisement -

Leave a reply

Please enter your comment!
Please enter your name here

error: Content is protected !!