भारतीय बैंकों को उच्च ब्याज दरों के कारण कर्ज वृद्धि में कमी और मुनाफे पर दबाव का सामना करना पड़ रहा है। एसएंडपी ग्लोबल मार्केट इंटेलिजेंस की एक रिपोर्ट के अनुसार, देश के छह बड़े बैंकों की कुल कर्ज वृद्धि वित्तीय वर्ष 2024-25 में घटकर 12.3% रह सकती है, जो पिछले वित्तीय वर्ष में 22.5% थी।
रिपोर्ट के मुताबिक, कर्ज वृद्धि में कमी आने के बावजूद भारतीय बैंक अब भी मुनाफा कमा रहे हैं, हालांकि इसकी गति धीमी हो गई है। अधिकांश बैंकों के नेट इंटरेस्ट मार्जिन (NIM) में गिरावट की संभावना जताई गई है, क्योंकि जमा दरों में वृद्धि हो रही है और मौद्रिक नीति में नरमी के संकेत मिल रहे हैं।
ब्याज दरें ऊंची, आरबीआई का रुख सख्त
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने अमेरिका और यूरोप में मौद्रिक नीति में ढील दिए जाने के बावजूद अपनी बेंचमार्क ब्याज दरों को उच्च स्तर पर बनाए रखा है। रिपोर्ट में कहा गया है कि आरबीआई महंगाई पर नियंत्रण रखने पर ध्यान केंद्रित कर रहा है और रुपये के मूल्य में गिरावट को अप्रत्यक्ष रूप से मौद्रिक राहत के रूप में देख रहा है। 1 नवंबर 2024 के बाद से रुपया 2.8% गिरा है और हाल ही में अपने ऐतिहासिक निचले स्तर पर पहुंच गया।

ब्याज दरों के प्रभाव को देखते हुए, कई बैंकों ने अपनी ऋण देने की रणनीति बदली है। उन्होंने उपभोक्ता ऋणों में कटौती कर दी है और खुदरा जमा को अधिक प्राथमिकता दी है ताकि बैलेंस शीट को मजबूत किया जा सके। आरबीआई ने जोखिम भरे कर्ज को नियंत्रित करने के लिए नवंबर 2024 में असुरक्षित ऋणों पर जोखिम भार को 25% तक बढ़ा दिया था। इससे व्यक्तिगत ऋण, क्रेडिट कार्ड ऋण और गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (NBFCs) को दिए गए कर्ज प्रभावित हुए हैं।
एसबीआई और एचडीएफसी बैंक का प्रदर्शन
रिपोर्ट के अनुसार, सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक एसबीआई का शुद्ध लाभ वित्तीय वर्ष 2024-25 में 5.6% बढ़कर 701.16 अरब रुपये हो सकता है, जो पिछले वर्ष 663.79 अरब रुपये था। वहीं, एचडीएफसी बैंक, जो बाजार पूंजीकरण के हिसाब से देश का सबसे बड़ा बैंक है, ने दिसंबर 2024 तिमाही में अपने सकल ऋणों में केवल 3% की वृद्धि दर्ज की, जबकि जमा 16% बढ़ी।
हालांकि, भारतीय बैंकिंग क्षेत्र के लिए एक राहत की खबर यह है कि बैंकों का खराब ऋण अनुपात (एनपीए) कई वर्षों के निचले स्तर पर पहुंच गया है। आरबीआई की दिसंबर 2024 की वित्तीय स्थिरता रिपोर्ट के अनुसार, शेड्यूल्ड कमर्शियल बैंकों का सकल एनपीए अनुपात सितंबर 2024 में घटकर 2.6% रह गया। यह गिरावट मुख्य रूप से कम नए फंसे कर्ज, अधिक कर्ज की वसूली और स्थिर ऋण मांग के कारण आई है।
भारतीय बैंकिंग प्रणाली मजबूत बनी हुई है, लेकिन उच्च ब्याज दरों और कर्ज वृद्धि में गिरावट के कारण बैंकों के मार्जिन पर दबाव बना हुआ है। आरबीआई की सख्त नीति और रुपये में गिरावट जैसे कारकों के बीच, बैंकों की रणनीतियां महत्वपूर्ण होंगी। आने वाले महीनों में, अगर आरबीआई मौद्रिक नीति में ढील देता है, तो यह बैंकिंग क्षेत्र के लिए राहत भरी खबर हो सकती है।
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