अमेरिका से निर्वासित करीब 300 अवैध प्रवासियों, जिनमें भारतीय भी शामिल हैं, को Panama के एक होटल में हिरासत में रखा गया है। ये सभी अमेरिका की अवैध प्रवासियों पर कड़ी कार्रवाई के तहत निकाले गए हैं।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, पनामा सिटी के Decapolis होटल में बंद प्रवासियों ने खिड़कियों पर “प्लीज हेल्प अस” और “वी आर नॉट सेफ” जैसे संदेश लिखकर मदद की गुहार लगाई है। होटल के बाहर पुलिसकर्मी तैनात हैं।
एसोसिएटेड प्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, निर्वासित लोगों में भारत, नेपाल, श्रीलंका, पाकिस्तान, अफगानिस्तान, चीन, वियतनाम और ईरान के नागरिक शामिल हैं। अमेरिका के लिए सीधे निर्वासन में दिक्कतों के कारण पनामा को ट्रांजिट पॉइंट के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा है।
पनामा के सुरक्षा मंत्री फ्रैंक अब्रेगो ने कहा कि प्रवासियों को स्वतंत्रता से वंचित नहीं किया गया है, बल्कि यह उनकी सुरक्षा के लिए किया गया है। उन्होंने बताया कि सभी निर्वासित लोगों को खाद्य और चिकित्सा सुविधा दी जा रही है।
अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रूबियो की हालिया पनामा यात्रा के बाद, पनामा सरकार ने निर्वासित प्रवासियों को अस्थायी रूप से शरण देने का समझौता किया। अमेरिका इस पूरी प्रक्रिया का खर्च वहन कर रहा है।
अब्रेगो के अनुसार, जो लोग अपने देश लौटना चाहते हैं, उन्हें वापस भेजा जा रहा है। वहीं, जो लोग अन्य देश जाना चाहते हैं, उन्हें दारिएन जंगल में एक शरणार्थी शिविर में स्थानांतरित किया जा रहा है।
अमेरिका से अब तक 332 भारतीयों को निर्वासित कर भारत भेजा गया। ये सभी C-17 अमेरिकी सैन्य विमान से अमृतसर पहुंचे। 5 फरवरी को 104 भारतीय, 15 फरवरी को 116 भारतीय और 16 फरवरी को 112 भारतीय वापस भेजे गए।
निर्वासित भारतीयों ने आरोप लगाया कि अमेरिका से भारत भेजे जाने के दौरान उन्हें पूरे सफर के दौरान हथकड़ी और बेड़ियों में रखा गया। इस घटना पर बड़ा विवाद खड़ा हो गया है। यह मामला अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ध्यान खींच रहा है, और अब सभी की नजरें अमेरिका की अगली कार्रवाई पर टिकी हैं।
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