दुबई में champions trophy के अहम मुकाबले में भारतीय टीम के सामने अपनी साख बचाने की बड़ी चुनौती होगी। यह सिर्फ एक मैच नहीं, बल्कि बीते सालों में झेले गए अपमान का बदला लेने का सुनहरा मौका भी है। न्यूजीलैंड की टीम ने 2019 वर्ल्ड कप और 2021 टेस्ट चैंपियनशिप में भारत को करारी शिकस्त दी थी, और अब यह टीम फिर से जबरदस्त फॉर्म में नजर आ रही है। भारतीय टीम इस मुकाबले में पिछली हारों का हिसाब चुकता करने के इरादे से उतरेगी।
New Zealand इस चैंपियंस ट्रॉफी में अब तक की सबसे मजबूत टीम बनकर उभरी है। अपने पहले दो मैचों में शानदार जीत दर्ज कर चुकी इस टीम के बल्लेबाज शानदार लय में हैं। खासकर उनके बाएं हाथ के बल्लेबाज, जो अब तक टूर्नामेंट में कहर बरपा रहे हैं। पाकिस्तान के खिलाफ टॉम लैथम ने शतक ठोकते हुए अपनी टीम को 320 के विशाल स्कोर तक पहुंचाया था। बांग्लादेश के खिलाफ भी कॉनवे और रचिन रवींद्र ने कमाल का प्रदर्शन किया। रचिन ने 105 गेंदों में नाबाद 112 रन बनाए और बांग्लादेशी गेंदबाजों की जमकर धुनाई की। इन बल्लेबाजों का स्ट्राइक रेट भी 100 से ऊपर रहता है, जिससे वे न केवल बड़े शॉट खेलते हैं बल्कि स्ट्राइक रोटेट करने में भी माहिर हैं।
Indian team की सबसे बड़ी ताकत उनके स्पिनर्स हैं, लेकिन इस बार उनकी असली परीक्षा होने वाली है। भारत ने अब तक के मैचों में तीन बाएं हाथ के स्पिनर्स को खिलाया है, लेकिन न्यूजीलैंड की टीम में मौजूद बाएं हाथ के बल्लेबाज उनके लिए सिरदर्द साबित हो सकते हैं। ये बल्लेबाज लेफ्ट आर्म स्पिन के खिलाफ शानदार खेल दिखाते आए हैं। ऐसे में भारतीय टीम के सामने मुश्किल ये है कि क्या स्पिनर्स के कॉम्बिनेशन में बदलाव किया जाए या फिर वही रणनीति अपनाई जाए।
यह मुकाबला सिर्फ India और New Zealand के बीच नहीं, बल्कि एक बड़ी टक्कर होगी भारत के स्पिनर्स और न्यूजीलैंड के बाएं हाथ के बल्लेबाजों के बीच। दुबई की इस जंग में जो भी जीतेगा, वह ट्रॉफी की ओर एक कदम और बढ़ा देगा। अब देखना होगा कि भारतीय टीम इस चुनौती का सामना कैसे करती है और क्या वह न्यूजीलैंड को इस बार मात देने में सफल होती है या नहीं।
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