राजस्थान कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष और वरिष्ठ नेता सचिन पायलट ने जयपुर में एक बड़ा बयान दिया है, जिसमें उन्होंने देश की राजनीति और आगामी चुनावों को लेकर अपनी सोच साझा की। पायलट ने कहा कि कुछ समय पहले तक जो लोग 300 और 400 सीटों के नारे लगा रहे थे, अब वही लोग 240 सीटों पर सिमटकर रह गए हैं। उन्होंने यह भी बताया कि एनडीए के दो बड़े दल, जैसे टीडीपी और जेडीयू, कब बीजेपी का साथ छोड़कर जाएं, इसका कोई निश्चित अनुमान नहीं है। पायलट का कहना था कि सरकार बनाना कोई बड़ी बात नहीं है, बल्कि सबसे महत्वपूर्ण है जनता का दिल जीतना, क्योंकि बिना जनता का समर्थन हासिल किए कोई भी राजनीतिक दल सफल नहीं हो सकता।
पायलट ने आगे कहा, “हमने अपने जीवन में उतार-चढ़ाव देखे हैं। कोई समय एक जैसा नहीं रहता। देश की जनता जागरूक है और वह सही समय पर सही निर्णय लेगी।” उनका मानना है कि जनता से किए गए वादे पूरे करने होते हैं, तभी विश्वास कायम रहता है।
राजनीति में हो रहे बदलाव पर पायलट की बात
सचिन पायलट ने यह भी कहा कि देश की राजनीति समय के साथ बदलती रहती है, और इसमें कोई बुरी बात नहीं है। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा, “आजादी से पहले की राजनीति, आजादी के समय की राजनीति, 30 साल पहले की राजनीति और आज की राजनीति में फर्क है। समाज बदल रहा है, दुनिया बदल रही है, तो राजनीति का बदलना स्वाभाविक है।”
सचिन पायलट ने कहा-कब चंद्रबाबू नायडू और नीतीश कुमार एनडीए का साथ छोड़ दें कोई पता नहीं ? @SachinPilot pic.twitter.com/7QQ7pMBHWD
— Santosh kumar Pandey (@PandeyKumar313) January 14, 2025
पायलट ने लोकतंत्र के संदर्भ में संस्थाओं के महत्व को भी रेखांकित किया। उन्होंने कहा, “लोकतंत्र को जीवित रखने का काम अगर कोई करता है तो वह संस्थाएं करती हैं। इन संस्थाओं को कौन चलाता है? इंसान ही इन संस्थाओं को चलाता है। संस्था को चलाने वाले व्यक्ति की प्रतिबद्धता, उनकी सोच, उनकी स्वतंत्रता, उनकी क्षमता और देश के प्रति उनका प्यार बेहद महत्वपूर्ण है।”
संसद का माहौल 2004 से अब बहुत बदल चुका है
सचिन पायलट ने 2004 में संसद का माहौल याद करते हुए कहा कि उस समय संसद में कामकाजी माहौल और नेताओं का दृष्टिकोण आज से बहुत अलग था। पायलट ने कहा, “मुझे याद है जब मैं पहली बार संसद में गया था, मैं 26 साल का था। उस समय प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह थे, और इस सदन में अटल बिहारी वाजपेयी, देवगौड़ा और चंद्रशेखर जैसे नेता थे। 2004 में जो संसद का माहौल था, वह आज बिल्कुल नहीं है।”
पायलट ने यह भी कहा कि उस समय देश में श्रमिक आंदोलनों और सामाजिक आंदोलनों का जोर था, और लोग अपने अधिकारों के लिए सड़कों पर उतरते थे। लेकिन, आज के युवाओं में उस तरह की जागरूकता की कमी देखी जा रही है। उन्होंने देश की जनता से आह्वान किया कि वे अपने अधिकारों और लोकतंत्र को लेकर सचेत रहें और सक्रिय भागीदार बने।
नवीन राजनीतिक परिप्रेक्ष्य
सचिन पायलट का यह बयान राजनीतिक हलकों में चर्चाओं का कारण बना है, क्योंकि उन्होंने एक तरफ पार्टी के भीतर की स्थिति पर ध्यान केंद्रित किया, तो दूसरी ओर देश की राजनीति में हो रहे बदलावों पर गहरी चिंता भी व्यक्त की। उनके बयान से यह स्पष्ट है कि पायलट भविष्य में राजनीति में सक्रिय भूमिका निभाने के लिए तैयार हैं और समाज की बदलती धारा को समझते हुए अपने दृष्टिकोण को आकार दे रहे हैं।
पायलट का यह बयान देश की राजनीति में हो रहे बदलावों और पार्टी की आगामी रणनीतियों पर महत्वपूर्ण प्रभाव डाल सकता है, और यह देखना दिलचस्प होगा कि उनका दृष्टिकोण आगामी चुनावों में कांग्रेस पार्टी की रणनीतियों को कैसे प्रभावित करता है।