समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव ने उत्तर प्रदेश योगी आदित्यनाथ सरकार पर हमला करते हुए कहा कि महाकुंभ किसी राजनीतिक फसलों का स्थान नहीं हो सकता है। उन्होंने यह बयान तब दिया जब राज्य सरकार ने कुंभ मेले के दौरान कैबिनेट बैठक आयोजित करने का फैसला लिया। इस फैसले ने राजनीति और धर्म के मेल पर वह छेड़ दी है। समाजवादी पार्टी के नेता अखिलेश यादव ने इस कदम की आलोचना करते हुए कहा कि धार्मिक आयोजनों को राजनीतिक लाभ के लिए इस्तेमाल करना अनुचित नहीं है और इस से धार्मिक परंपराओं का उल्लंघन होता है। महाकुंभ एक पवित्र अवसर है, जो भारत की संस्कृति और धार्मिक धरोहर का प्रतीक है, उनका मानना था कि इस तरह के धार्मिक आयोजन ऑन को राजनीतिक कांडों के लिए इस्तेमाल करना नहीं केवल अनुशासनहीनता है, बल्कि यह भारतीय संस्कृति की गरिमा को भी नुकसान पहुंचता है। उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी ने भी धार्मिक आयोजनों में भाग लिया है लेकिन, उनका प्रचार नहीं किया।
राजनीतिक लाभ के लिए धार्मिक स्थलों का उपयोग
अखिलेश यादव ने कहा कि कुंभ किसी भी सरकारी या पार्टी के लिए राजनीतिक लाभ अर्जित करने का मंच नहीं हो सकता। वह यह मानते हैं कि योगी सरकार ने कुंभ मेला जैसे धार्मिक आयोजन का उपयोग अपनी छवि को चमकाने और आगामी चुनाव में लाभ उठाने के लिए किया है। अखिलेश यादव ने धार्मिक आयोजनों को राजनीतिक मंच के रूप में इस्तेमाल करने के इस कदम पर सवाल उठाए। उनका कहना है कि धर्म और राजनीति को अलग-अलग रखना चाहिए। ताकि धार्मिक आयोजनों की पवित्रता बनी रहे। दूसरी ओर महाकुंभ के दौरान आयोजित इस बैठक में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और उनके मंत्रिमंडल ने संगम में पवित्र स्नान किया और साथ ही योगी सरकार ने दावा किया कि यह बैठक न केवल आध्यात्मिकता को बढ़ावा देने का प्रयास है, बल्कि सरकार के पारदर्शी और सामूहिक निर्णय लेने की प्रक्रिया को भी दर्शाता है। संगम में स्नान के अलावा इस बैठक में धार्मिकता और शासन के मेल को उजागर किया। 54 मंत्रियों ने इस आध्यात्मिक कार्य में भाग लिया। जो धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व के साथ-साथ सरकारी गतिविधियों को भी दर्शाता है। इस बार उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने कहा कि बैठक का उद्देश्य राज्य के विकास से संबंधित महत्वपूर्ण प्रस्ताव और योजनाओं पर चर्चा करना था। योगी सरकार ने प्रयागराज में इंफ्रास्ट्रक्चर विकास, सड़कों की मरम्मत और श्रद्धालुओं के लिए सुविधाएं बढ़ाने के लिए योजनाओं की शुरुआत की। इन घोषणाओं के माध्यम से सरकार ने यह संदेश दिया कि वह कुंभ को भव्य और सुविधाजनक बनाने के लिए कड़ाई मेहनत कर रही है।
महाकुंभ में धर्म और राजनीति का विवाद
महाकुंभ जो अपनी आध्यात्मिक और सांस्कृतिक धरोहर के लिए प्रसिद्ध है। महाकुंभ जैसे आयोजनों का महत्व केवल धार्मिक नहीं। बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक भी है। हालांकि, इस बार राजनीतिक चर्चाओं का केंद्र बन गया है। योगी सरकार के फैसले से जहां शासन और धार्मिक परंपराओं के मेल का संदेश दिया गया, वही अखिलेश यादव जैसे नेता ऐसे धर्म का राजनीतिकरण मानते हैं । अखिलेश यादव नहीं होगी सरकार पर कुंभ मेले को राजनीतिक लाभ के लिए इस्तेमाल करने का आरोप लगाते हुए इसे अनुचित ठहराया। उनका कहना था की कुंभ मेला धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व का एक पवित्र अवसर है, जिसका उपयोग राजनीति के लिए नहीं किया जाना चाहिए। इसके बजाय सरकार को समाज के विकास और वास्तविक समस्याओं पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए, ताकि देश और समाज का सही मार्गदर्शन किया जा सके। उन्होंने यह भी कहा कि राज्य सरकार को अपने विकास कार्यों के लिए ऐसे मंचों का चुनाव नहीं करना चाहिए, जहां राजनीतिक लाभ के लिए धार्मिक भावनाओं का दोहन किया जा सकता है।