महाकुंभ 2025 में हुए हादसे ने पूरे देश को हिलाकर रख दिया है। प्रयागराज में मौनी अमावस्या के दिन भारी भीड़ के बीच भगदड़ मचने से कई लोगों की जान चली गई, लेकिन इस घटना के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का चुप रहना सवालों के घेरे में है। हादसे के 12 घंटे बाद भी प्रशासन ने मृतकों की संख्या की आधिकारिक पुष्टि नहीं की, जिससे लोगों में आक्रोश बढ़ रहा है।
सोशल मीडिया पर पीड़ितों के बयान और वीडियो वायरल हो रहे हैं, जिनमें लोग मदद न मिलने की शिकायत कर रहे हैं। एक वीडियो में एक व्यक्ति कहता है कि उसने आपात सेवा नंबर पर फोन किया, लेकिन किसी ने भी फ़ोन नहीं उठाया। इस घटना के बाद मुख्यमंत्री ने मुआवजे का ऐलान किया है, जिसमें मृतकों के परिजनों को 25 लाख रुपये दिए जाएंगे।
हालांकि, सवाल यह उठता है कि इतनी बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए प्रशासन ने क्या कदम उठाए थे। महाकुंभ के लिए सुरक्षा एजेंसियों ने तैयारी का दावा किया था, लेकिन वास्तविकता में नियंत्रण खो दिया गया। मुख्यमंत्री ने कहा कि यह हादसा भारी भीड़ के दबाव के कारण हुआ, लेकिन फिर भी उनकी चुप्पी और कार्रवाई की कमी पर सवाल उठ रहे हैं।
हालांकि, UP STF ने इस मामले में जांच शुरू करदी है, सूत्रों के हवाले से ख़बर।
इस प्रकार, महाकुंभ हादसा न केवल एक दुखद घटना है, बल्कि यह प्रशासनिक विफलता का भी प्रतीक बन गया है, जिसके लिए अब जवाबदेही तय करने की आवश्यकता है।