कनाडा में हुए रीसेंट चुनावों की जांच में भारत पर विदेशी हस्तक्षेप का आरोप लगाया गया है। एक नई रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत कनाडा की लोकतांत्रिक प्रक्रिया में दखल देने वाला दूसरा सबसे सक्रिय देश है, जबकि चीन पहले स्थान पर है।
यह रिपोर्ट न्यायाधीश मैरी-जोसी होग की अध्यक्षता में बनी सार्वजनिक जांच समिति ने मंगलवार को जारी की। रिपोर्ट में कहा गया कि भारत ने चुनावों में हस्तक्षेप के लिए खासतौर पर इंडो-कनाडाई समुदाय और अन्य प्रभावशाली लोगों को निशाना बनाया। इसके अलावा, भारत ने सभी स्तरों की सरकारों को प्रभावित करने की कोशिश की।
भारत पर क्या हैं आरोप?
रिपोर्ट के अनुसार, भारत अपने कूटनीतिक अधिकारियों और अन्य एजेंटों के जरिए कनाडा में हस्तक्षेप करता है। इसमें कहा गया कि भारत ने गुप्त रूप से कुछ कनाडाई राजनेताओं को अवैध वित्तीय सहायता दी, ताकि भारत समर्थक उम्मीदवारों की जीत सुनिश्चित की जा सके। हालांकि, इसमें यह स्पष्ट किया गया कि इन नेताओं को इस हस्तक्षेप की जानकारी थी या नहीं, इसका कोई ठोस प्रमाण नहीं है।

खालिस्तान मुद्दा और भारत की चिंता
रिपोर्ट में कहा गया कि भारत को कनाडा में खालिस्तानी अलगाववाद को लेकर गंभीर चिंता है। भारत को लगता है कि कनाडा उसकी सुरक्षा चिंताओं को गंभीरता से नहीं ले रहा है। रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि भारतीय एजेंसियां शांतिपूर्ण खालिस्तानी समर्थन और हिंसक चरमपंथियों में अंतर नहीं कर पातीं। हालांकि, कनाडा की खुफिया एजेंसी CSIS ने कहा कि खालिस्तान समर्थकों का बड़ा हिस्सा शांतिपूर्ण है।
निज्जर की हत्या से जुड़ा मामला
रिपोर्ट में कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो के उस बयान का भी जिक्र किया गया जिसमें उन्होंने सितंबर 2023 में संसद में कहा था कि भारतीय एजेंटों का खालिस्तान समर्थक नेता हरदीप सिंह निज्जर की हत्या से संबंध हो सकता है। इसके बाद कनाडा ने छह भारतीय राजनयिकों को निष्कासित कर दिया था।
भारत ने इन आरोपों को पूरी तरह से खारिज कर दिया है। नई दिल्ली ने कनाडा के आरोपों को “बेबुनियाद” और “राजनीति से प्रेरित” बताया है। भारत का कहना है कि वह कनाडा के आंतरिक मामलों में कोई हस्तक्षेप नहीं करता।
यह रिपोर्ट कनाडा में विदेशी हस्तक्षेप को लेकर गंभीर चिंताओं को उजागर करती है। हालांकि, इसमें भारत की सुरक्षा चिंताओं को भी स्वीकार किया गया है। यह मामला दोनों देशों के संबंधों को और जटिल बना सकता है।