5 नवंबर को भारतीय शेयर बाजारों में गिरावट का सिलसिला जारी रहा, क्योंकि वैश्विक अनिश्चितताओं, विशेष रूप से आगामी अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव और अमेरिकी फेडरल रिजर्व की मौद्रिक नीति बैठक, निवेशकों की भावना पर भारी पड़ रही थीं। प्रमुख सूचकांक – सेंसेक्स और निफ्टी – दबाव में रहे, और ये शुरुआत में नकारात्मक दिखाई दिए, जो वैश्विक जोखिम-प्रतिक्रिया का संकेत था।
शेयर बाजार का प्रारंभ और शुरुआती रुझान
ट्रेडिंग के पहले घंटे में, सेंसेक्स 237.53 अंकों, यानी 0.30% की गिरावट के साथ 78,544.71 पर खुला। निफ्टी भी 60.10 अंकों, यानी 0.25% की गिरावट के साथ 23,935.20 पर आ गया। हालांकि, व्यापक बाजार में कुछ लचीलापन दिखाई दिया, जहां 911 शेयरों में तेजी थी जबकि 854 शेयरों में गिरावट आई, लेकिन समग्र बाजार भावना नकारात्मक बनी रही।
निफ्टी के प्रमुख लाभार्थियों में हिंदाल्को, जेएसडब्ल्यू स्टील, टाटा स्टील, नेस्ले और एचसीएल टेक्नोलॉजीज के शेयर थे, जबकि प्रमुख नुकसान में कोल इंडिया, रिलायंस इंडस्ट्रीज, ट्रेंट, टाइटन कंपनी और भारत इलेक्ट्रॉनिक्स शामिल थे।
हालांकि, कुछ क्षेत्रों में मजबूती देखने को मिली, लेकिन वैश्विक आर्थिक अनिश्चितताओं के कारण समग्र बाजार दिशा नकारात्मक रही।
बाजार भावना को प्रभावित करने वाले प्रमुख कारक
अमेरिकी चुनाव और फेड बैठक: वैश्विक जोखिम के रूप में
बाजारों में वर्तमान सतर्कता का एक प्रमुख कारण दो वैश्विक घटनाओं के आसपास का अनिश्चितता है: अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव और फेडरल रिजर्व की मौद्रिक नीति बैठक। निवेशकों को चिंता है कि इन घटनाओं से बाजारों में उथल-पुथल हो सकती है, जो और अधिक अस्थिरता का कारण बन सकती है।
अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव, जो कुछ ही दिनों में होने वाला है, इस बार के सबसे करीबी चुनावों में से एक होने की संभावना है, जिसमें दोनों प्रमुख दल अपनी आर्थिक नीतियों को लेकर स्पष्ट रूप से अलग हैं। ऐतिहासिक रूप से, चुनावी मौसम में वैश्विक बाजारों में अस्थिरता बढ़ जाती है, क्योंकि निवेशक अपनी पोर्टफोलियो स्थिति को चुनाव परिणामों के आधार पर समायोजित करते हैं।
साथ ही, अमेरिकी फेडरल रिजर्व की बैठक पर भी सबकी नजरें हैं, जहां ब्याज दरों में और वृद्धि की संभावना है ताकि स्थिर मुद्रास्फीति को काबू किया जा सके। दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था में मौद्रिक नीति को और सख्त करने का प्रभाव उभरते बाजारों पर पड़ सकता है, खासकर भारत जैसे देशों में, जहां विदेशी निवेशक अपनी जोखिम नीति को फिर से आकार दे सकते हैं।
विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) की बिक्री जारी
दूसरा महत्वपूर्ण कारण जो बाजारों पर दबाव बना रहा है, वह विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) की निरंतर बिकवाली है। भारतीय शेयरों से पूंजी निकासी एक प्रमुख समस्या बनी हुई है और इस बिकवाली ने गिरावट को बढ़ावा दिया है। विश्लेषकों के अनुसार, यह एफआईआई बिकवाली निकट भविष्य में जारी रह सकती है, क्योंकि एफआईआई वैश्विक आर्थिक अनिश्चितताओं के कारण भारतीय बाजार से अपनी हिस्सेदारी घटा रहे हैं और सुरक्षित और स्थिर अर्थव्यवस्थाओं की ओर रुख कर रहे हैं।
वीके विजयकुमार, चीफ इन्वेस्टमेंट स्ट्रैटेजिस्ट, जियोजित फाइनेंशियल सर्विसेज के अनुसार, एफआईआई भारतीय शेयरों को इस कारण बेच रहे हैं क्योंकि घरेलू कंपनियों के आंकड़े उम्मीदों पर खरे नहीं उतर पाए हैं और वैश्विक जोखिम भी बढ़े हैं। “निफ्टी 50 कंपनियों में से दो-तिहाई ने दूसरी तिमाही के दौरान अपनी आय अनुमान से कम हासिल की है, और वित्तीय वर्ष 2025 के लिए निफ्टी 50 की आय वृद्धि को 15% से घटाकर 10% से कम कर दिया गया है। इसके कारण बाजार का मूल्यांकन फिर से किया गया है,” उन्होंने कहा।
विजयकुमार का मानना है कि एफआईआई की निरंतर बिकवाली विशेष रूप से इन आय अनुमानों में गिरावट और वैश्विक जोखिमों के कारण हो रही है, और इस परिस्थिति में यह बिकवाली और कुछ समय तक जारी रह सकती है।
घरेलू आय में कमी
दूसरी तिमाही (Q2) के दौरान कंपनियों के आय प्रदर्शन में निराशा देखने को मिली है, और कई बड़ी कंपनियों ने अपने अनुमानों को पूरा नहीं किया। इसके कारण आगामी तिमाहियों के लिए आय वृद्धि अनुमान में नीचे की ओर संशोधन हुआ है। विशेष रूप से, वित्तीय वर्ष 2025 के लिए निफ्टी 50 कंपनियों की आय वृद्धि को 10% से कम किया गया है, जो पहले 15% के आसपास थी।
आय की कमी ने बाजार में मूल्यांकन के स्थायित्व को लेकर चिंताएं पैदा की हैं, खासकर जब ब्याज दरों में वृद्धि जारी हो और आर्थिक अस्थिरता बनी हो। इस कम आय वृद्धि और वैश्विक जोखिमों के संयोजन ने एक ऐसा माहौल बना दिया है जिसमें निवेशक जोखिम से बचने के लिए अधिक सतर्क हो गए हैं और अधिक सुरक्षित संपत्तियों की ओर रुख कर रहे हैं।
क्षेत्रीय प्रदर्शन: मिश्रित तस्वीर
हालांकि समग्र बाजार दबाव में था, कुछ क्षेत्रों और शेयरों ने 5 नवंबर को मजबूती दिखाई। मेटल सेक्टर में, उदाहरण के लिए, हिंदाल्को, जेएसडब्ल्यू स्टील और टाटा स्टील के शेयरों में तेजी रही। विश्लेषकों का कहना है कि वैश्विक धातु मांग और इस क्षेत्र के अपेक्षाकृत मजबूत आय विकास के कारण यह प्रदर्शन हुआ।
इसी तरह, एफएमसीजी क्षेत्र ने भी सकारात्मक रुझान दिखाया, जिसमें नेस्ले इंडिया ने महत्वपूर्ण लाभ दर्ज किया। दूसरी ओर, आईटी, ऊर्जा और उपभोक्ता वस्त्र जैसे क्षेत्र दबाव में रहे, जिसमें रिलायंस इंडस्ट्रीज, टाइटन कंपनी और भारत इलेक्ट्रॉनिक्स ने बड़ी गिरावट दर्ज की।
बाजार की अस्थिरता के कारण निवेशकों ने अधिक चयनात्मक दृष्टिकोण अपनाया है। विशेषज्ञों का कहना है कि उन शेयरों पर ध्यान केंद्रित किया जाना चाहिए जो आर्थिक अनिश्चितता के दौरान बेहतर प्रदर्शन करने की संभावना रखते हैं। कंपनियाँ जो मजबूत आय दृष्टिकोण, ठोस मूलभूत सिद्धांतों और मजबूत नकद प्रवाह दिखाती हैं, उन्हें आकर्षण मिलेगा, जबकि अधिक चक्रीय या उच्च-बीटा वाले शेयरों को दबाव का सामना करना पड़ सकता है।
तकनीकी दृष्टिकोण
तकनीकी दृष्टिकोण से, निफ्टी में कमजोरी के संकेत हैं। एचडीएफसी सिक्योरिटीज के सीनियर तकनीकी विश्लेषक नागराज शेट्टी के अनुसार, डेली चार्ट पर एक लंबी मंदी की कैंडल (long bear candle) बनी है, जो नीचे की ओर ब्रेकआउट का संकेत देती है। “निफ्टी का शॉर्ट-टर्म ट्रेंड डाउन है और निकट भविष्य में और कमजोरी की संभावना है। अगले महत्वपूर्ण समर्थन स्तर के रूप में 23,500 को देखा जा सकता है, जो 200-दिन के एक्सपोनेंशियल मूविंग एवरेज (EMA) से मेल खाता है। यहां से कोई भी बाउंस बैक 24,200 के स्तर के आसपास मजबूत प्रतिरोध का सामना कर सकता है,” उन्होंने कहा।
बैंक निफ्टी, जो पहले ही दबाव में था, 52,500 और 50,500 के बीच दायरे में रह सकता है, और इसका झुकाव नकारात्मक रहेगा। शारेखान के तकनीकी विश्लेषक जतिन गेडिया ने कहा कि बैंक निफ्टी के लिए महत्वपूर्ण समर्थन 50,720 – 50,600 के आसपास रहेगा, जबकि प्रतिरोध 51,750 – 51,800 के स्तर पर है।
आगे क्या: सतर्क दृष्टिकोण की सिफारिश
वैश्विक अनिश्चितताओं, एफआईआई बिकवाली, और मिश्रित आय प्रदर्शन को देखते हुए निवेशकों को सतर्क रहने की सलाह दी जाती है। जियोजित फाइनेंशियल सर्विसेज के वीके विजयकुमार का मानना है कि निवेशकों को इस समय रक्षात्मक शेयरों में निवेश करने और उन क्षेत्रों में धीरे-धीरे निवेश बढ़ाने की रणनीति अपनानी चाहिए जो मौजूदा अस्थिरता को झेल सकते हैं।
वित्तीय सेवाओं के क्षेत्र में, विशेष रूप से प्रमुख निजी बैंकों और ऑटो शेयरों जैसे Eicher Motors और Mahindra & Mahindra (M&M), जो मजबूत आय दिखा रहे हैं, निवेशकों के लिए मध्य-लंबी अवधि में आकर्षक हो सकते हैं।
वहीं, मीठा इक्विटी के प्रशांत तापसे ने शॉर्ट-टर्म अवसरों के लिए चयनात्मक स्टॉक पिकिंग की सिफारिश की है। लुपिन और बैंक ऑफ बड़ौदा जैसे शेयर, जिनके मजबूत मूलभूत पहलू हैं, शॉर्ट-टर्म ट्रेडर्स के लिए सकारात्मक नजर आ रहे हैं।
निष्कर्ष
भारतीय शेयर बाजार एक चुनौतीपूर्ण दौर से गुजर रहे हैं, जिसमें वैश्विक जोखिम, एफआईआई की बिकवाली, और कमजोर आय वृद्धि घरेलू परिदृश्य पर हावी हो रही हैं। जबकि कुछ क्षेत्र जैसे धातु और एफएमसीजी सकारात्मक दिख रहे हैं, समग्र बाजार भावना नकारात्मक बनी हुई है, और निकट भविष्य में और कमजोरी की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता। निवेशकों को सतर्क रहना चाहिए और मजबूत मूलभूत पहलू वाली कंपनियों में निवेश करने पर ध्यान देना चाहिए, जो वर्तमान अस्थिरता को झेल सकते हैं।
जैसे-जैसे सप्ताह आगे बढ़ेगा और प्रमुख वैश्विक घटनाएं सामने आएंगी, निवेशक अमेरिकी चुनाव और फेड की मौद्रिक नीति फैसलों के संबंध में अपडेट्स पर करीबी नजर रखेंगे, जो वैश्विक बाजारों पर दूरगामी प्रभाव डाल सकते हैं।