संसद के बजट सत्र के दूसरे दिन महाकुंभ मेला में हुई भगदड़ को लेकर लोकसभा और राज्यसभा में जमकर हंगामा हुआ। विपक्षी सांसदों ने इस मुद्दे को लेकर सरकार पर जमकर सवाल उठाए और कई मुद्दों पर विरोध जताया। लोकसभा में विपक्षी नेताओं ने सरकार के खिलाफ नारेबाजी की, जिससे कार्यवाही प्रभावित हुई।
लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने विपक्षी सांसदों को आड़े हाथों लेते हुए कहा, “आपको सांसद जनता ने इस लिए नहीं चुना था कि आप हंगामा करें और कार्यवाही को बाधित करें, बल्कि आपको यहां बैठकर चर्चा करनी चाहिए।” उन्होंने सवाल किया, “क्या भारतीय जनता ने आपको नारेबाजी करने और हंगामा करने के लिए चुना है?”
वहीं, राज्यसभा में भी विपक्षी सांसदों ने महाकुंभ भगदड़ मामले को लेकर अपना विरोध जताया। विपक्षी सांसदों ने संसद में अपनी बात रखने के बजाय राज्यसभा से वॉकआउट किया।
महाकुंभ मेला में माउनी अमावस्या के दिन शाही स्नान के दौरान भगदड़ मचने से कम से कम 30 लोगों की मौत हो गई थी और लगभग 60 लोग घायल हो गए थे। विपक्ष ने इस घटना पर सरकार की आलोचना करते हुए कहा कि सरकार ने इस गंभीर मुद्दे को सही तरीके से नहीं संभाला।
महाकुंभ मेला भगदड़ मामले की जांच के लिए एक तीन सदस्यीय न्यायिक आयोग का गठन किया गया है। यह आयोग इस घटना की जड़ तक जाएगा और भविष्य में ऐसे हादसों को रोकने के लिए सिफारिशें करेगा। आयोग को अपनी रिपोर्ट एक महीने के भीतर सरकार को सौंपनी है।
संसद का बजट सत्र 31 जनवरी को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के संयुक्त संबोधन के साथ शुरू हुआ था। बजट सत्र का पहला भाग 13 फरवरी तक चलेगा, फिर मार्च 10 से सत्र फिर से शुरू होगा और 4 अप्रैल को समाप्त होगा।
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