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Thursday, March 13, 2025

Priyanka Gandhi Vadra और Manish Tiwari ‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ समिति में होंगे शामिल

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कांग्रेस से प्रियंका गांधी वाड्रा और मनीष तिवारी को ‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ विधेयकों पर चर्चा और समीक्षा करने के लिए गठित संयुक्त संसदीय समिति (JPC) में शामिल किया जा सकता है। सूत्रों के अनुसार, ये दोनों कांग्रेस के सांसद इस समिति का हिस्सा होंगे, जो लोकसभा में मंगलवार को पेश किए गए विधेयकों की जांच करेगी।

प्रियंका गांधी, जिन्होंने अपने अनोखे विरोध प्रदर्शन के तरीकों से ध्यान आकर्षित किया है, पहली बार सांसद बनी हैं और उन्होंने वायनाड सीट से जीत हासिल की है।

अन्य संभावित सदस्य

इस पैनल में अन्य संभावित सदस्यों में जेडीयू के संजय झा, समाजवादी पार्टी के धर्मेंद्र यादव, टीडीपी के हरीश बलायोगी, डीएमके के पी. विल्सन और सेल्वा गगपथी, शिवसेना के श्रीकांत शिंदे, और तृणमूल कांग्रेस के कल्याण बनर्जी व साकेत गोखले शामिल हो सकते हैं।

समिति का कार्य और समय सीमा

संसद का शीतकालीन सत्र शुक्रवार को समाप्त हो रहा है, ऐसे में इस 31-सदस्यीय समिति का गठन अगले तीन दिनों के भीतर करना होगा। यह समिति प्रस्तावित संशोधनों की समीक्षा करेगी और संबंधित पक्षों से परामर्श लेगी। समिति को इन विधेयकों की समीक्षा के लिए 90 दिनों का समय मिलेगा, लेकिन आवश्यकता पड़ने पर यह समय सीमा बढ़ाने का अनुरोध किया जा सकता है।

रuling भाजपा, जो लोकसभा में सबसे बड़ी पार्टी है, इस समिति की अध्यक्षता करने की संभावना है।

विधेयकों का परिचय और विरोध

मंगलवार को संविधान (129वां संशोधन) विधेयक, 2024, और केंद्र शासित प्रदेश कानून (संशोधन) विधेयक, 2024, लोकसभा में पेश किए गए। इन विधेयकों का उद्देश्य लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के चुनावों को एक साथ कराने के लिए संवैधानिक संशोधन करना है।

विधेयकों को विपक्ष के विरोध के बीच निचले सदन में पेश किया गया, जिसमें 269 सांसदों ने समर्थन में और 198 ने विरोध में मतदान किया।

वन नेशन, वन इलेक्शन: विवाद और महत्व

वन नेशन, वन इलेक्शन का विचार देश में चुनावी प्रक्रिया को सरल बनाने और बार-बार होने वाले चुनावों से बचने के लिए पेश किया गया है। हालांकि, विपक्षी दलों ने इसे लोकतंत्र के लिए खतरा बताते हुए इसका कड़ा विरोध किया है। उनका मानना है कि यह राज्यों की स्वायत्तता को कमजोर कर सकता है।

समिति के गठन के बाद, इस पर गहन चर्चा होगी और देशभर के विशेषज्ञों और हितधारकों से सुझाव लिए जाएंगे। इस विधेयक का अंतिम स्वरूप समिति की सिफारिशों और संसद में चर्चा के बाद ही तय होगा।

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