राजस्थान कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष और पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट की राजनीति में सक्रियता इन दिनों सुर्खियों में है। हाल ही में, उन्हें दिल्ली विधानसभा चुनाव के लिए कांग्रेस पार्टी का स्टार प्रचारक बनाया गया है, जिससे राजस्थान में राजनीतिक माहौल गर्म हो गया है। 17 फरवरी को जारी स्टार प्रचारक की सूची में सचिन पायलट का नाम और उनके सिग्नेचर का जिक्र, राज्य में सियासी हलचल को और तेज कर रहा है। सचिन पायलट का नाम दिल्ली विधानसभा चुनाव के स्टार प्रचारक के रूप में आना, उनके राजनीतिक कद और कांग्रेस आलाकमान के साथ उनके रिश्तों को लेकर चर्चा का विषय बन गया है।
इसके साथ ही, सचिन पायलट इन दिनों लगातार राजस्थान में दौरे कर रहे हैं, और इन दौरों की वजह से पार्टी में भी हलचल मची हुई है। उनका राजनीतिक कद अब बढ़ता हुआ दिख रहा है, और कई नेताओं के बीच इस पर चर्चा हो रही है। पायलट की बढ़ती सक्रियता और उनके दौरे यह संकेत दे रहे हैं कि कांग्रेस पार्टी उन्हें आने वाले समय में बड़ी जिम्मेदारी दे सकती है। इस लेख में हम सचिन पायलट की बढ़ती सक्रियता, उनकी राजनीति, और राजस्थान कांग्रेस में उनके संभावित भविष्य के बारे में विस्तार से चर्चा करेंगे।
पायलट की बढ़ी सक्रियता और कांग्रेस आलाकमान के करीबियां
पिछले कुछ समय में सचिन पायलट को कांग्रेस आलाकमान के करीब देखा जा रहा है। पायलट के बारे में यह माना जाता है कि वे एक ऐसे नेता हैं, जिनकी न केवल राजस्थान में बल्कि दिल्ली में भी अच्छी पकड़ है। हाल ही में, पायलट दिल्ली में कांग्रेस के नए राष्ट्रीय कार्यालय के उद्घाटन कार्यक्रम में राहुल गांधी के बगल में बैठे थे, जिससे यह कयास लगाए जा रहे हैं कि आलाकमान उन्हें आगामी चुनावों में अहम भूमिका दे सकता है। सचिन पायलट की सक्रियता इन दिनों बढ़ी है, और उनकी मौजूदगी पार्टी के हर बड़े फैसले में नजर आ रही है। यही कारण है कि पार्टी के भीतर पायलट के भविष्य को लेकर चर्चाएं तेज हो गई हैं।
पायलट की सक्रियता में खास बात यह है कि वे लगातार राजस्थान के विभिन्न हिस्सों में दौरे कर रहे हैं। उनका यह कदम राज्य की राजनीति में एक नई दिशा दे सकता है। सचिन पायलट को लेकर यह भी माना जा रहा है कि वे मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के स्वास्थ्य लाभ के दौरान राज्य में कांग्रेस की नेतृत्व की भूमिका निभा सकते हैं। इस स्थिति को लेकर पार्टी के अंदर और बाहर दोनों जगहों पर कयासों का दौर जारी है। सचिन पायलट के बढ़ते प्रभाव के कारण, गहलोत खेमे में भी बेचैनी देखी जा रही है, हालांकि गहलोत की ओर से लगातार यह कहा जाता है कि वे किसी भी सूरत में वापसी करेंगे।
लोकसभा चुनाव में पायलट की सक्रियता और पार्टी का फायदा
सचिन पायलट की सक्रियता ने 2019 के लोकसभा चुनावों में भी अहम भूमिका निभाई थी। पायलट ने राज्यभर में कई सभाओं को संबोधित किया और कांग्रेस पार्टी के लिए प्रचार किया। इसका सीधा असर पार्टी के प्रदर्शन पर पड़ा था। पायलट ने लोकसभा चुनाव के दौरान राज्य की सीटों पर पार्टी के लिए प्रचार किया, और परिणामस्वरूप कांग्रेस को राजस्थान में अच्छा प्रदर्शन देखने को मिला था। इसके बाद, उपचुनावों के दौरान भी सचिन पायलट ने कई सीटों पर दौरे किए, जो कांग्रेस के पक्ष में गए। इस दौरान, मुख्यमंत्री अशोक गहलोत लोकसभा और उपचुनाव दोनों में उतने सक्रिय नहीं थे, और यही वजह थी कि पायलट के नेतृत्व में कांग्रेस को एक नई दिशा मिली।
राजस्थान में गहलोत और पायलट के बीच की राजनीतिक खाई धीरे-धीरे बढ़ती जा रही है। पायलट की बढ़ती सक्रियता और गहलोत के स्वास्थ्य लाभ के दौरान राज्य के राजनीतिक घटनाक्रम में बदलाव की संभावना को लेकर चर्चाएं तेज हैं। यह संभव है कि आने वाले समय में पायलट को राज्य में पार्टी का नेतृत्व सौंपा जाए, खासकर तब जब गहलोत के नेतृत्व में पार्टी में कई आंतरिक विवाद चल रहे हों।
पायलट की ताकत और पार्टी की रणनीति
राजस्थान में सचिन पायलट की सबसे बड़ी ताकत यह है कि उनका जनाधार राज्य की कई जातियों में फैला हुआ है। उनके पास राजस्थान के ग्रामीण इलाकों से लेकर शहरी क्षेत्रों तक मजबूत समर्थक हैं। पायलट ने अपनी राजनीति की शुरुआत युवा नेता के रूप में की थी, और अब वे राज्य की राजनीति के एक अहम चेहरे के रूप में उभरकर सामने आए हैं। इसके अलावा, पायलट की पहचान कांग्रेस पार्टी के ऐसे नेता के रूप में होती है, जो पार्टी की नीतियों को जमीनी स्तर तक पहुंचाने में सक्षम हैं।
पायलट को लेकर कांग्रेस आलाकमान की रणनीति यह हो सकती है कि उन्हें राष्ट्रीय स्तर पर पार्टी का चेहरा बनाया जाए, जिससे पार्टी को दोनों राज्य और केंद्र में एक नया नेतृत्व मिल सके। सचिन पायलट की राजनीतिक समझ और युवाओं में उनका प्रभाव कांग्रेस पार्टी के लिए फायदे का सौदा साबित हो सकता है। पायलट का नाम स्टार प्रचारक के रूप में आना यह दर्शाता है कि आलाकमान उन्हें राष्ट्रीय राजनीति में महत्वपूर्ण भूमिका देना चाहता है।
वरिष्ठ पत्रकारों की राय
राजस्थान के वरिष्ठ पत्रकार हरीश मलिक का मानना है कि इस समय सचिन पायलट के लिए एक बेहतरीन अवसर है। वे कांग्रेस पार्टी के एकमात्र ऐसे नेता हैं, जिनकी राजस्थान और दिल्ली दोनों जगहों पर मजबूत पकड़ है। उनका कहना है कि पायलट का नाम दिल्ली विधानसभा चुनाव के स्टार प्रचारक के रूप में आना इस बात का संकेत है कि आलाकमान उन्हें आगामी चुनावों में एक महत्वपूर्ण भूमिका देने की योजना बना रहा है। मलिक का कहना है कि पायलट के पास एक बड़ी चुनावी रणनीति और नेतृत्व की क्षमता है, जो पार्टी को आगामी चुनावों में जीत दिला सकती है।
वहीं, राजस्थान के वरिष्ठ पत्रकार अरविंद चोटिया का कहना है कि भले ही सचिन पायलट पार्टी के लिए सक्रिय हो रहे हों, लेकिन अशोक गहलोत का प्रभाव पार्टी में अभी भी मजबूत है। उनका कहना है कि गहलोत समय पर वापसी कर सकते हैं और पार्टी की नीतियों में बदलाव लाने की क्षमता रखते हैं।
निष्कर्ष
राजस्थान कांग्रेस में सचिन पायलट की बढ़ती सक्रियता पार्टी के भीतर और बाहर दोनों जगहों पर चर्चा का विषय बन चुकी है। पायलट का दिल्ली विधानसभा चुनाव में स्टार प्रचारक के रूप में आना, उनकी बढ़ती लोकप्रियता और पार्टी में उनकी मजबूत स्थिति को दर्शाता है। हालांकि, पार्टी के अंदर गहलोत और पायलट के बीच शक्ति संघर्ष की स्थिति बनी हुई है, लेकिन आने वाले समय में पायलट का राजनीतिक कद और उनकी भूमिका निश्चित रूप से कांग्रेस पार्टी के लिए अहम हो सकती है।