रिपोर्ट में आबकारी मामला व मुख्यमंत्री रहने के दौरान केजरीवाल के आवास में पुनर्निमाण सहित यमुना व वायु प्रदूषण सहित विभिन्न मामले शामिल हैं। राज्य के वित्त, सार्वजनिक स्वास्थ्य बुनियादी ढांचे, वाहनों से होने वाले वायु प्रदूषण, शराब विनियमन और दिल्ली परिवहन निगम के कामकाज की समीक्षा भी शामिल है।


इस योजना के लिए शुरुआत में 2020 में 7.61 करोड़ रुपये मंजूर किए गए, मगर अप्रैल 2022 तक लागत बढ़कर 33.66 करोड़ रुपये हो गई यानी 342 प्रतिशत की वृद्धि हुई। भाजपा और कांग्रेस ने इन निष्कर्षों का इस्तेमाल पूर्व मुख्यमंत्री केजरीवाल को निशाने पर लिया है, जिसमें सार्वजनिक धन के दुरुपयोग का आरोप लगाया गया है।
उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने पहले इन रिपोर्ट को सार्वजनिक नहीं किए जाने पर चिंता जताई थी और विधानसभा से पिछले साल दिसंबर में एक विशेष सत्र बुलाने का आग्रह किया था। हालांकि आप के कार्यकाल के दौरान पांच साल के दौरान ये रिपोर्ट पेश नहीं की गईं, जिससे उन्हें जारी करने की मांग बढ़ गई थी।