नई दिल्ली: वक्फ संशोधन बिल पर बनी संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) की बैठक सोमवार को पूरी हो गई। इस बैठक में एनडीए (भाजपा के नेतृत्व वाले सत्तारूढ़ गठबंधन) द्वारा पेश किए गए सभी 14 संशोधनों को मंजूरी दी गई, जबकि विपक्षी सांसदों के सभी संशोधनों को खारिज कर दिया गया।
संसदीय समिति का दावा: बिल बनेगा अधिक प्रभावी
बैठक के बाद समिति के अध्यक्ष जगदंबिका पाल ने कहा कि पारित किए गए संशोधन वक्फ कानून को बेहतर और अधिक प्रभावी बनाएंगे। उन्होंने बताया, “आज खंड-दर-खंड चर्चा हुई। विपक्षी सदस्यों ने अपने संशोधन पेश किए, लेकिन वे वोट के जरिए अस्वीकृत हो गए। यह प्रक्रिया पूरी तरह लोकतांत्रिक थी।”
विपक्ष का विरोध, लोकतांत्रिक प्रक्रिया पर उठाए सवाल
हालांकि, विपक्षी सांसदों ने बैठक की कार्यवाही पर कड़ा विरोध जताया। तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) सांसद कल्याण बनर्जी ने आरोप लगाया, “यह बैठक सिर्फ एक औपचारिकता थी। हमारी बात नहीं सुनी गई। समिति ने तानाशाही रवैया अपनाया।”
जवाब में जगदंबिका पाल ने विपक्ष के आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि बैठक में हर सदस्य को अपनी बात रखने का मौका दिया गया। “विधेयक को लोकतांत्रिक तरीके से बहुमत के आधार पर पारित किया गया है,” उन्होंने कहा।

महत्वपूर्ण संशोधन और वक्फ संपत्तियों पर निर्णय
समिति द्वारा पास किए गए एक अहम संशोधन के अनुसार, मौजूदा वक्फ संपत्तियों के उपयोग पर सवाल नहीं उठाया जा सकेगा। यह संशोधन वर्तमान कानून में एक बड़ा बदलाव लाएगा।
हंगामे और विवाद से घिरी बैठक
जेपीसी की बैठक शांतिपूर्ण नहीं रही। चर्चा के दौरान कई बार माहौल गर्म हो गया। इससे पहले भी इस समिति की बैठकों में तनाव देखने को मिला है। कुछ दिनों पहले जगदंबिका पाल ने टीएमसी सांसद कल्याण बनर्जी पर उन्हें अपशब्द कहने का आरोप लगाया था। इसके बाद 10 विपक्षी सांसदों को निलंबित कर दिया गया था।
पिछले साल अक्टूबर में हुई बैठक में भी स्थिति इतनी बिगड़ गई थी कि नेताओं के बीच झड़प हो गई। इस दौरान कल्याण बनर्जी ने गुस्से में एक कांच की बोतल मेज पर पटक दी, जिससे वे खुद घायल हो गए थे।
अगले कदम की तैयारी
जेपीसी द्वारा पारित संशोधनों को अब संसद में पेश किया जाएगा। इसके बाद यह तय होगा कि वक्फ कानून में यह बदलाव कब से लागू होंगे। एनडीए ने इसे कानून को और मजबूत बनाने का कदम बताया है, जबकि विपक्ष इसे “लोकतंत्र का हनन” कह रहा है।