21 जनवरी, 2025 को भारतीय शेयर बाजार में भारी बिकवाली देखने को मिली, जब निवेशक अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प द्वारा अपने पदभार संभालने के बाद पड़ोसी देशों पर व्यापार शुल्क (टैरिफ) लगाने की योजनाओं को लेकर सतर्क हो गए। इस गिरावट ने भारतीय बाजार को हिला दिया और निवेशकों की संपत्ति में भारी कमी आई।
बेंचमार्क सूचकांकों में बड़ी गिरावट
इस दिन दोनों प्रमुख बेंचमार्क सूचकांकों, बीएसई सेंसेक्स और एनएसई निफ्टी में लगभग 1 प्रतिशत की गिरावट आई। बीएसई सेंसेक्स 848 अंक गिरकर 76,224.79 के निचले स्तर पर बंद हुआ, जबकि एनएसई निफ्टी ने 217 अंक की गिरावट दर्ज की और 23,127.70 के स्तर पर आकर बंद हुआ।
बीएसई सेंसेक्स में यह गिरावट इस सप्ताह की सबसे बड़ी गिरावट थी, और इससे पहले के कुछ दिनों के उतार-चढ़ाव से भी यह गिरावट अधिक गहरी थी। भारतीय शेयर बाजार ने वैश्विक आर्थिक अस्थिरता और निवेशकों की जोखिम को लेकर चिंता को लेकर एक अभूतपूर्व प्रतिक्रिया दी।
मिडकैप और स्मॉलकैप में भी गिरावट
इस दिन बीएसई मिडकैप और स्मॉलकैप इंडेक्स में भी भारी गिरावट देखने को मिली। मिडकैप इंडेक्स में 2 प्रतिशत से अधिक और स्मॉलकैप इंडेक्स में भी 2 प्रतिशत से अधिक की गिरावट आई। यह गिरावट इस बात को दर्शाती है कि छोटे और मंझले आकार की कंपनियों के शेयर भी इस बिकवाली से प्रभावित हुए हैं, जो भारतीय निवेशकों के लिए एक और चिंताजनक संकेत था।
निवेशकों की संपत्ति में ₹5 लाख करोड़ की गिरावट
इस बिकवाली के कारण भारतीय शेयर बाजार की कुल मार्केट कैपिटलाइजेशन में भारी गिरावट आई। बीएसई लिस्टेड कंपनियों की कुल मार्केट कैप ₹432 लाख करोड़ से गिरकर ₹427 लाख करोड़ तक आ गई। इस गिरावट से निवेशकों की संपत्ति में लगभग ₹5 लाख करोड़ की कमी आ गई, जो एक बड़े पैमाने पर नुकसान को दर्शाता है।
यह गिरावट विशेष रूप से उन निवेशकों के लिए चिंता का कारण बन गई है जिन्होंने मंझले और छोटे शेयरों में निवेश किया था, क्योंकि इन कंपनियों के शेयरों में ज्यादा उतार-चढ़ाव देखने को मिल रहा था। इसके अलावा, प्रमुख सेक्टर्स जैसे बैंकिंग, ऑटो, और रियल एस्टेट ने भी नुकसान झेला।
अमेरिकी व्यापार नीति की चिंता
इस गिरावट का मुख्य कारण अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की ट्रेड पॉलिसी थी, जिसमें उन्होंने अपने पदभार संभालने के बाद पड़ोसी देशों पर नए व्यापार शुल्क (टैरिफ) लगाने की घोषणा की। अमेरिका की यह नीति भारतीय और अन्य एशियाई देशों के लिए चिंता का कारण बन गई है, क्योंकि इससे वैश्विक व्यापार की दिशा प्रभावित हो सकती है और इन देशों की निर्यात वृद्धि पर प्रतिकूल असर पड़ सकता है।
अमेरिका के साथ व्यापारिक तनाव के कारण भारतीय निर्यातकों और विदेशी निवेशकों में अस्थिरता की भावना मजबूत हो गई, और इसने भारतीय शेयर बाजार में बिकवाली को बढ़ावा दिया। निवेशकों को डर था कि इससे भारतीय अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर पर दबाव बढ़ सकता है, जिससे बाजार में और अधिक गिरावट आ सकती है।
वैश्विक आर्थिक अस्थिरता और निवेशकों की चिंता
भारतीय बाजार में बिकवाली का यह दौर केवल अमेरिकी व्यापार नीतियों तक सीमित नहीं था। वैश्विक आर्थिक अस्थिरता भी एक प्रमुख कारण बन गई। वैश्विक मुद्रास्फीति, विकास दर में मंदी और व्यापार युद्धों की संभावना ने निवेशकों के मन में असमंजस पैदा किया। इसके कारण जोखिम उठाने की प्रवृत्ति में गिरावट आई, और निवेशकों ने अपने पोर्टफोलियो से जोखिम भरे निवेशों को निकालने का निर्णय लिया।
इस गिरावट का असर न केवल भारतीय शेयर बाजार पर पड़ा, बल्कि अन्य वैश्विक बाजारों पर भी इसका प्रभाव देखने को मिला। विशेष रूप से एशियाई बाजारों में भी बिकवाली की लहर दौड़ी, और निवेशकों ने सुरक्षित निवेश की ओर रुख किया।
क्या है आगे की दिशा?
विश्लेषकों का मानना है कि भारतीय शेयर बाजार में यह गिरावट अस्थायी हो सकती है, यदि अमेरिकी व्यापार नीति और वैश्विक आर्थिक स्थिति में कोई सकारात्मक बदलाव होता है। हालांकि, निकट भविष्य में बाजार में अस्थिरता बनी रह सकती है, क्योंकि वैश्विक परिस्थितियां और घरेलू अर्थव्यवस्था के संकेत मिलाजुला रहे हैं।
भारत में सुधार की प्रक्रिया जारी है, लेकिन इन बाहरी कारकों के प्रभाव से निवेशकों को सतर्क रहना होगा। अगर अमेरिकी व्यापार नीति में कोई महत्वपूर्ण बदलाव नहीं आता है, तो भारतीय बाजार में और भी गिरावट देखने को मिल सकती है, लेकिन अगर वैश्विक अर्थव्यवस्था में स्थिरता आती है तो बाजार में सुधार की उम्मीद जताई जा सकती है।
निवेशकों के लिए सलाह
विश्लेषकों का सुझाव है कि निवेशकों को बाजार की अस्थिरता को समझते हुए अपने पोर्टफोलियो में विविधता बनाए रखनी चाहिए। उन कंपनियों में निवेश करना जो मजबूत बुनियादी बातें और वित्तीय स्थिति रखती हैं, एक अच्छा विकल्प हो सकता है। इसके अलावा, निवेशकों को बाजार की स्थिति के बारे में जानकारी रखने और पेशेवर सलाह लेने की सिफारिश की जाती है, ताकि वे इस अस्थिर समय में सही निर्णय ले सकें।
अंत में, भारतीय शेयर बाजार में बिकवाली के इस दौर को एक सबक के रूप में लेना चाहिए और यह समझना चाहिए कि बाजार की अस्थिरता सामान्य है, लेकिन इसका समुचित प्रबंधन और रणनीतिक निवेश से निवेशक फायदा उठा सकते हैं।