नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर मची भगदड़ में 18 यात्रियों की जान जा चुकी है, जो भारतीय रेलवे और सरकार के लिए बेहद दुखद और शर्मनाक घटना है। इस घटना ने न केवल देशवासियों को झकझोर दिया, बल्कि यह भी सवाल खड़ा कर दिया है कि आखिरकार इतनी बड़ी दुर्घटना के बावजूद सरकार और रेलवे प्रशासन ने तुरंत और प्रभावी कदम क्यों नहीं उठाए? क्यों नहीं इस हादसे के जिम्मेदार लोगों के खिलाफ तुरंत कार्रवाई की गई? क्या यह घटना रेलवे की बदहाली और सरकार की लापरवाही का संकेत नहीं है?
क्यों नहीं लिया गया तुरंत एक्शन?
घटना के बाद के घंटों में, जब देशभर में इस भगदड़ की भयावहता पर चर्चा हो रही थी, कोई सरकारी अधिकारी सामने नहीं आया। ना तो किसी ने इस्तीफा दिया और ना ही कोई माफी मांगी। सरकार ने सिर्फ यह कहा कि “जांच शुरू कर दी गई है”, जबकि असल में इस घटना के बाद तुरंत जिम्मेदार लोगों को जवाबदेह ठहराया जाना चाहिए था। क्या 18 जिंदगियों की मौत का जिम्मा सिर्फ “जांच” पर छोड़ दिया जा सकता है?
सरकार का यह रवैया बेहद निराशाजनक है। एक तरफ तो मुआवजे का ऐलान किया गया, लेकिन दूसरी तरफ किसी भी अधिकारी को अपनी जिम्मेदारी का अहसास नहीं हुआ। क्या यह 18 जिंदगियों की कीमत सिर्फ मुआवजे में चुकाई जा सकती है? क्या यह सही तरीका है? अगर दुर्घटना के बाद सरकार ने उचित कदम उठाए होते, तो शायद यह हादसा रोका जा सकता था।
रेलवे मंत्री अश्विनी वैष्णव की लापरवाही
रेलवे मंत्री अश्विनी वैष्णव का रवैया इस पूरी घटना के बाद पूरी तरह से सवालों के घेरे में है। क्या रेलवे मंत्रालय के मंत्री ने अपने विभाग की जिम्मेदारियों को सही से निभाया है? क्या उन्होंने इस बड़े विभाग को आधुनिक तकनीकी और सुरक्षा उपायों से सुसज्जित किया है? क्या उन्होंने सुरक्षा मानकों और यात्रियों की सुविधा को प्राथमिकता दी है?
अगर रेलवे प्रशासन ने समय रहते सुरक्षा उपायों की समीक्षा की होती और फुटओवर ब्रिज की हालत पर ध्यान दिया होता, तो शायद यह घटना नहीं घटती। क्या यह मंत्री अपने कार्यों को सही तरीके से अंजाम देने में सक्षम हैं? क्या उन्हें इस्तीफा नहीं देना चाहिए, ताकि वह अपनी जवाबदेही से बचने की बजाय जिम्मेदारी लें?
क्या सरकार का सिस्टम इतना कमजोर है?
नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर हुए इस हादसे में भगदड़ का कारण यात्रियों द्वारा फुटओवर ब्रिज से सीढ़ियों का उपयोग करते हुए प्लेटफॉर्म तक पहुंचने की कोशिश बताया गया। अगर यही कारण था, तो यह सवाल खड़ा होता है कि क्या रेलवे स्टेशन पर यात्रियों की सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए पर्याप्त इंतजाम किए गए थे? क्या वहां पर्याप्त संकेतक थे ताकि यात्री सही दिशा में जा सकें और ऐसी स्थिति उत्पन्न न हो?
रेलवे प्रशासन का काम है कि वह यात्रियों की सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता दे। क्या रेलवे ने पर्याप्त सुरक्षा प्रबंध किए हैं? क्या वहां पर्याप्त स्टाफ मौजूद था, जो इस तरह की स्थिति को नियंत्रित कर सकता? क्या यह रेलवे की लापरवाही का परिणाम नहीं है कि आज इतनी बड़ी संख्या में यात्रियों की जान गई? क्या रेल मंत्रालय और रेलवे के अधिकारियों ने अपने कर्तव्यों को पूरी गंभीरता से निभाया है?
सुरक्षा मानकों का सवाल
इस हादसे ने भारतीय रेलवे के सुरक्षा मानकों की पोल खोल दी है। क्या रेलवे सुरक्षा के लिए आधुनिक तकनीकी उपायों का उपयोग कर रहा है? क्या स्टेशन पर पर्याप्त सुरक्षा बल तैनात थे? क्या रेलवे ट्रैक और स्टेशन पर यात्रियों की भीड़ को नियंत्रित करने के लिए उचित इंतजाम किए गए थे? अगर ये सवालों का सही जवाब न हो, तो यह निश्चित रूप से सरकार और रेलवे प्रशासन की जिम्मेदारी बनती है।
क्या अब रेलवे प्रशासन और सरकार को यह समझ में आ गया है कि सुरक्षा के मामले में कोई लापरवाही नहीं की जा सकती? क्या यह हादसा कोई बड़ा चेतावनी संकेत नहीं है कि भारत की रेलवे प्रणाली को अब और अधिक सख्त और आधुनिक सुरक्षा उपायों की जरूरत है?
मुआवजा का नहीं, जिम्मेदारी का होना चाहिए ऐलान
सरकार ने 18 मृतकों के परिजनों को 10 लाख रुपए के मुआवजे का ऐलान किया है, लेकिन क्या यह मुआवजा उस अनमोल जिंदगी की कीमत चुका सकता है जो एक परिवार ने खोई है? मुआवजे के अलावा, सरकार को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि भविष्य में ऐसी घटनाएं न हों और जिम्मेदार अधिकारियों और कर्मचारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए। क्या यह समय नहीं है कि रेल मंत्रालय के उच्च अधिकारियों से लेकर रेलवे के स्टाफ तक को जवाबदेह ठहराया जाए?
नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर हुई इस भगदड़ में हुई मौतों से कई सवाल खड़े होते हैं। सरकार और रेलवे मंत्रालय को अब तत्काल प्रभाव से इन सवालों के जवाब देने चाहिए। अगर वे वाकई में अपने कर्तव्यों को सही तरीके से निभाने में सक्षम हैं, तो यह जरूरी है कि वे न केवल मुआवजे की घोषणा करें, बल्कि इस हादसे के लिए जिम्मेदार लोगों को सख्त सजा दिलवाने के लिए भी कदम उठाएं। यह घटना यह साबित करती है कि रेलवे सुरक्षा की स्थिति बेहद चिंताजनक है और सरकार को इसे सुधारने के लिए सख्त कदम उठाने चाहिए।