उत्तर प्रदेश के प्रयागराज जिले में आयोजित महाकुंभ मेले के दौरान हुई भगदड़ को सुप्रीम कोर्ट ने एक ‘दुर्भाग्यपूर्ण घटना’ करार दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को उस जनहित याचिका (PIL) पर सुनवाई से इनकार कर दिया, जिसमें महाकुंभ के दौरान तीर्थयात्रियों के लिए सुरक्षा उपायों और दिशा-निर्देशों को लागू करने की मांग की गई थी। कोर्ट ने याचिकाकर्ता से अपील की कि वह अपनी याचिका इलाहाबाद उच्च न्यायालय में दाखिल करें।
यह घटना बुधवार की सुबह करीब 1-2 बजे के बीच हुई, जब लाखों श्रद्धालु मौनी अमावस्या के अवसर पर संगम में पवित्र स्नान करने के लिए उमड़े थे। इस भगदड़ में कम से कम 30 लोगों की मौत हो गई और 60 से अधिक लोग घायल हो गए। घटना ने पूरे देश को शोक में डुबो दिया और महाकुंभ के दौरान सुरक्षा की स्थिति पर गंभीर सवाल उठाए।
सुप्रीम कोर्ट का रुख और निर्देश
सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले पर सुनवाई करते हुए कहा कि यह घटना निस्संदेह एक दुर्भाग्यपूर्ण घटना है, लेकिन इसे लेकर किसी प्रकार के तात्कालिक निर्देश देने की आवश्यकता नहीं है। कोर्ट ने याचिकाकर्ता से कहा कि यदि वह सुरक्षा उपायों के संदर्भ में कोई याचिका दायर करना चाहते हैं, तो उन्हें यह याचिका इलाहाबाद उच्च न्यायालय में दाखिल करनी चाहिए। कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि उच्च न्यायालय इस मामले में उचित निर्णय ले सकता है।
यह निर्णय उस PIL के संदर्भ में लिया गया था, जिसमें महाकुंभ के आयोजन के दौरान श्रद्धालुओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए दिशा-निर्देश जारी करने की मांग की गई थी। याचिका में यह भी कहा गया था कि सरकार और आयोजकों को श्रद्धालुओं के लिए उचित इंतजाम करने चाहिए, ताकि ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो। याचिका में भगदड़ की घटनाओं को रोकने के लिए उच्च सुरक्षा उपायों की आवश्यकता पर बल दिया गया था।
महाकुंभ और भगदड़
महाकुंभ मेला विश्व का सबसे बड़ा धार्मिक आयोजन होता है, जहां हर 12 साल में लाखों श्रद्धालु अपनी धार्मिक आस्थाओं के तहत संगम में पवित्र स्नान करने आते हैं। इस दौरान श्रद्धालुओं की भारी भीड़ होती है, और सुरक्षा के लिहाज से आयोजन स्थल पर विभिन्न प्रबंध किए जाते हैं। हालांकि, इस वर्ष हुए हादसे ने यह साबित कर दिया कि इन आयोजनों के दौरान सुरक्षा प्रबंधन में कुछ खामियां हो सकती हैं, जिन पर तत्काल ध्यान देने की आवश्यकता है।
सरकारी प्रतिक्रिया
घटना के बाद, उत्तर प्रदेश सरकार ने मृतकों के परिजनों को मुआवजा देने की घोषणा की और घायलों को बेहतर इलाज मुहैया कराने की कोशिश की। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने घटना पर दुख व्यक्त किया और अधिकारियों से घटना की पूरी जांच करने को कहा।
हालांकि, इस घटना के बाद तीर्थयात्रियों और आम जनता में सुरक्षा को लेकर कई सवाल उठे हैं। महाकुंभ जैसे बड़े धार्मिक आयोजनों में सुरक्षा प्रबंधन और दुर्घटनाओं को रोकने के लिए क्या कदम उठाए गए हैं, यह एक बड़ा मुद्दा बन गया है।
महाकुंभ की भगदड़ ने देशभर में सुरक्षा व्यवस्था पर गंभीर प्रश्न उठाए हैं। सुप्रीम कोर्ट का यह रुख इस बात को दिखाता है कि जब तक कोई विशेष याचिका उच्च न्यायालय में नहीं जाती, तब तक कोर्ट कोई निर्देश जारी नहीं करेगा। अब यह जिम्मेदारी उच्च न्यायालय की होगी कि वह इस मामले में उचित कदम उठाए और भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए दिशा-निर्देश जारी करे।