केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 1 फरवरी, 2025 को वित्त वर्ष 2025-26 का केंद्रीय बजट पेश करने जा रही हैं। यह उनका आठवां बजट होगा और मोदी 3.0 सरकार का दूसरा पूर्ण बजट होगा। इस बजट में मध्य वर्ग के लिए एक महत्वपूर्ण कदम उठाया जा सकता है, जिससे उन्हें कुछ राहत मिल सकती है। खबरों के मुताबिक, सरकार आयकर में कमी करने पर विचार कर रही है, खासकर उन व्यक्तियों के लिए जिनकी वार्षिक आय 15 लाख रुपये तक है।
आर्थिक मंदी के दौर में, जहां सरकार को उपभोक्ता खर्च को बढ़ावा देने की आवश्यकता है, यह कदम मध्य वर्ग के लिए राहत का कारण बन सकता है। सरकार की योजना इस कदम के माध्यम से करदाताओं को राहत देने की है, जिससे उनका खर्च बढ़े और अर्थव्यवस्था में भी सुधार हो।
आयकर में संभावित राहत
Reuters द्वारा सरकार के सूत्रों के हवाले से यह खबर आई है कि सरकार 15 लाख रुपये तक कमाने वालों के लिए आयकर में कटौती करने पर विचार कर रही है। यह कदम खासकर शहरी निवासियों को राहत देने के उद्देश्य से उठाया जा सकता है, जो बढ़ती हुई जीवनयापन की लागत के कारण दबाव महसूस कर रहे हैं। हालांकि, सूत्रों ने यह भी बताया कि इस कटौती के आकार को लेकर अभी कोई अंतिम निर्णय नहीं लिया गया है। “निर्णय बजट 1 फरवरी के करीब लिया जाएगा,” सूत्रों ने कहा।
अगर सरकार इस कदम को लागू करती है, तो इससे करोड़ों करदाताओं को फायदा हो सकता है, खासकर वे लोग जो शहरी क्षेत्रों में रहते हैं और जिनकी जीवनयापन की लागत अत्यधिक बढ़ गई है। यह कदम न केवल करदाताओं को राहत देगा बल्कि उपभोक्ता खर्च को भी बढ़ावा देगा, जो भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए महत्वपूर्ण है।
नया कर व्यवस्था और उसके प्रभाव
यह राहत 2020 में लागू किए गए नए कर व्यवस्था के तहत होगी, जिसमें करदाताओं को छूट नहीं मिलती, जैसे हाउसिंग रेंटल या अन्य कटौतियां। इस नई व्यवस्था के तहत, 3 लाख रुपये से 15 लाख रुपये तक की आय पर 5% से 20% तक कर लगाया जाता है। इस व्यवस्था के समर्थक इसे सरल और पारदर्शी मानते हैं, लेकिन आलोचकों का कहना है कि इसमें मध्यम वर्ग पर अधिक बोझ पड़ता है, क्योंकि इसमें कोई कटौती या छूट नहीं है।
यदि सरकार कर में कटौती करती है, तो यह उन लोगों के लिए राहत का कारण बन सकता है, जो इस नई कर व्यवस्था के तहत आते हैं। इससे निवेश योग्य आय (disposable income) में वृद्धि हो सकती है, जिससे उपभोक्ता खर्च को बढ़ावा मिलेगा और आर्थिक गतिविधियों में भी सुधार हो सकता है।
आर्थिक संदर्भ और कर राहत की आवश्यकता
आने वाले बजट में कर राहत की उम्मीदें ऐसे समय पर जताई जा रही हैं, जब भारतीय अर्थव्यवस्था मंदी का सामना कर रही है। विभिन्न क्षेत्रों में विकास की दर धीमी हो गई है, और उपभोक्ता खर्च में भी कमी देखी जा रही है। सरकार को उम्मीद है कि कर राहत देने से लोग अधिक खर्च करेंगे, जिससे मांग बढ़ेगी और अर्थव्यवस्था में सुधार होगा।
मध्यम वर्ग, जो भारत की अर्थव्यवस्था का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, लंबे समय से अत्यधिक कर बोझ के कारण परेशान है। उन्हें महसूस हो रहा है कि वे भारी करों का भुगतान कर रहे हैं, लेकिन उन्हें उतनी सुविधाएं नहीं मिल रही हैं, जितनी कि निचले वर्ग को मिल रही हैं। इसलिए, यह कदम उन्हें वित्तीय राहत देने और उपभोक्ता खर्च को बढ़ाने में सहायक हो सकता है।
उद्योग विशेषज्ञों और संगठनों की राय
कई उद्योग निकायों और वित्त विशेषज्ञों ने भी इस दिशा में सरकार से कदम उठाने की अपील की है। उनका कहना है कि भारत की उच्च कर संरचनाको फिर से व्यवस्थित करने की आवश्यकता है, जिससे मध्य वर्ग को राहत मिल सके। यदि सरकार कर राहत देती है, तो इससे न केवल उपभोक्ता खर्च बढ़ेगा, बल्कि यह व्यवसायों के लिए भी सकारात्मक होगा, क्योंकि लोग अधिक खरीदारी करेंगे।
भारतीय उद्योग परिसंघ (CII) के अध्यक्ष संजिव पुरी ने इस प्रस्ताव का समर्थन करते हुए कहा कि कर राहत को उन लोगों तक बढ़ाया जाना चाहिए, जिनकी वार्षिक आय 20 लाख रुपये तक है। उन्होंने यह भी कहा कि, “उपभोक्ता खर्च को बढ़ावा देने के दृष्टिकोण से, हमने 20 लाख रुपये तक की आय वाले लोगों के लिए कर दर में राहत की मांग की है, जिससे निवेश योग्य आय बढ़ेगी और राजस्व में वृद्धि होगी।”
संजिव पुरी की टिप्पणी इस बात को रेखांकित करती है कि अगर सरकार मध्यम वर्ग को कर राहत देती है, तो इससे उनकी खर्च क्षमता बढ़ेगी और इस प्रकार घरेलू व्यवसायों को फायदा होगा। खासकर, रिटेल, ऑटोमोबाइल, और उपभोक्ता वस्तुएं जैसे क्षेत्र इससे लाभान्वित हो सकते हैं, जो हाल के वर्षों में मंदी का सामना कर रहे हैं।
मोहंदास पई (पूर्व CFO, इंफोसिस) ने भी इस मामले पर टिप्पणी करते हुए सरकार से “ईमानदार” मध्यम वर्ग के करदाताओं को राहत देने की अपील की। पई ने X (पूर्व ट्विटर) पर लिखा, “कृपया आयकर देने वाले ईमानदार मध्यम वर्ग को राहत दें। आज केंद्र और राज्य निचले 60% के लिए 9 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा सब्सिडी खर्च करते हैं, लेकिन मध्यम वर्ग करों का बोझ उठाता है, जो गरीब होता जा रहा है और बिना किसी राहत के गुस्से में है। जीवनयापन की लागत कई लोगों के लिए असहनीय हो गई है।”
पई की बातों से यह साफ है कि मध्यम वर्ग सरकार से संवेदनशीलता की उम्मीद करता है, क्योंकि यह वर्ग अपने करों का भुगतान करता है, लेकिन सरकारी योजनाओं में उसे पर्याप्त लाभ नहीं मिलता।
संभावित परिणाम और भविष्य की उम्मीदें
यदि सरकार इस निर्णय को लागू करती है, तो इसके आर्थिक प्रभाव हो सकते हैं। कर राहत से न केवल मध्यम वर्ग को राहत मिलेगी, बल्कि इससे उपभोक्ता विश्वास बढ़ेगा और खर्च में वृद्धि होगी, जो भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए अच्छा संकेत होगा। इससे विभिन्न उद्योगों में वृद्धि हो सकती है, और सरकार को राजस्व में भी वृद्धि देखने को मिल सकती है।
यह राहत केवल करदाताओं के लिए नहीं बल्कि केंद्रीय सरकार के लिए भी एक दीर्घकालिक लाभ हो सकता है, क्योंकि यह घरेलू उपभोक्ताओं को प्रोत्साहित करेगा और व्यापारिक गतिविधियों में भी वृद्धि हो सकती है। 2025 के केंद्रीय बजट में आवश्यकताओं के मुताबिक अन्य कदमों के साथ कर राहत भी एक सकारात्मक कदम हो सकता है।
2025 के केंद्रीय बजट में यदि सरकार मध्यम वर्ग के लिए कर राहत देती है, तो यह एक स्वागत योग्य कदम होगा, जिससे जीवनयापन की लागत और कर बोझ से जूझ रहे करोड़ों भारतीयों को राहत मिल सकती है। इसके अलावा, उपभोक्ता खर्च में वृद्धि से आर्थिक गतिविधियों में भी सुधार हो सकता है। निर्मला सीतारमण के सामने एक बड़ा मौका है कि वे बजट में मध्यम वर्ग के लिए ऐसा कदम उठाएं, जिससे न केवल लोगों को राहत मिले, बल्कि यह भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए भी एक सकारात्मक संकेत बने।